यूपी के सात शहरों को जल्द मिलेगा 150 इलेक्ट्रिक बसे।

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यूपी के सात शहरों को बहुत  जल्द 150 इलेक्ट्रिक बसों की सौगात मिलने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी  26 सितंबर को 150 इलेक्ट्रिक बसों  को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान से हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे।

कहा से चलेगी ये बसे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 सितंबर को जिन इलेक्ट्रिक बसों को हरी झंडी दिखाएंगे, वे बसें 16 सितंबर तक हरियाणा से लखनऊ पहुंच जाएंगी। सभी 150 ई-बसें लखनऊ और कानपुर समेत सात शहरों में संचालित होंगी।  नगरीय परिवहन निदेशालय के मुताबिक इन बसों को दुबग्गा पार्किंग में खड़ा किया जायेगा। यहां बसों की फिटनेस जांच होगी, इसके बाद डेढ़ सौ बसें को सात शहरों के लिए एक साथ रवाना किया जायेगा।  इनमें 25 बसें लखनऊ और 25 बसे कानपुर में चलेंगी. बाकी प्रत्येक 20 बसों को गोरखपुर, झांसी, प्रयागराज, गाजियाबाद और वाराणसी में चलाया जायेगा।

इकोफ्रैंडली होगी ये बसे

नगरीय परिवहन निदेशालय का कहना है कि इन इलेक्ट्रिक बसों को खास तकनीकी के आधार पर बनाया गया है।  निदेशालय का दावा है कि ये बसे इकोफ्रैंडली होगी। इनसे वायु प्रदूषण भी नहीं होगा।

45 मिनट में चार्ज होगा और 120 किमी तक चलेगी

नगरीय परिवहन निदेशालय ने दावा किया है कि इलेक्ट्रिक बस केवल 45 मिनट में चार्ज हो जायेगा और एक बार चार्ज होने पर 120 किमी तक चल सकेगी। इनका  सस्पेंशन भी बेहतर होगा जिस से बस में झटका नहीं लगेगा।  ई-बस योजना की कुल लागत 965 करोड़ है। हर ई-बस की लागत लगभग एक करोड़ रूपये है। सरकार की ओर से प्रति बस 45 लाख रुपये का  छूट मिलेगा।

इलेक्ट्रिक बसों की खासियत

नगरीय परिवहन निदेशालय के अनुसार इन बसों में  यात्रियों को सात तरह की सुविधाएं मिलेंगी बस का ध्वनि-वायु प्रदूषण शून्य होगा, और बस में 30 यात्रियों के बैठने की सुविधा होगी, इसके अलावा स्टॉपेज के लिए एलईडी स्क्रीन होगी। बसों में सुरक्षा के लिहाज से आगे-पीछे दो सीसीटीवी कैमरा लगा होगा। हर सीट पर पैनिक बटन भी लगा होगा।

वर्ष 2024-25 तक ई-बसों की 8-10 प्रतिशत हिस्सेदारी हो जाएगी

देश के कई शहरों में अब ई-बसों को चलाने पर जोर दिया जा रहा है।  हाल में ही रेटिंग एजेंसी इक्रा के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 तक नई बसों की बिक्री में ई-बसों की हिस्सेदारी  8-10 प्रतिशत होने का अनुमान है। एजेंसी का कहना है कि ई-बसों की खरीद में भारत का सबसे आगे रहने का उम्मीद है। इक्रा ने एक बयान में कहा कि पिछले डेढ़ साल में महामारी के कारण सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र में चुनौतियों के बावजूद ई-बस के क्षेत्र में हलचल दिखाई दे रहा है।