लखनऊ 10 मार्च 2022: काउंटिंग सेंटर में 14 टेबल होते हैं। इसके अलावा एक-एक टेबल रिटर्निंग ऑफिसर और ऑब्जर्वर के लिए भी होता है। काउंटिंग सेंटर मेंउम्मीदवार या उनके एजेंट को मौजूद रहनेकी इजाजत रहती है।
ईवीएम(EVM) के वोटों की गिनती कई राउंड्स में होती हैं। हर राउंड में 14 ईवीएम के वोट गिने जाते हैं। हर राउंड के बाद एजेंट से फॉर्म 17-सी हस्ताक्षर करवाया जाता है। ये एजेंट राजनीतिक पार्टियों के होते हैं। मतगणना केंद्र में उम्मीदवार या उनके एजेंट को मौजूद रहने की इजाजत रहती है। मतगणना स्थल पर एक ब्लैकबोर्ड भी होता है, जिसमें हर राउंड के बाद किस उम्मीदवार को कितने वोट मिले, ये लिखा जाता है। फिर लाउडस्पीकर से घोषणा की जाती है, जिसे रुझान कहते हैं।
वीवीपैट(VVPAT) से मिलान:
वीवीपैट(VVPAT) मशीन एक तरह की मशीन होती है, जो ईवीएम से जुड़ी होती है। मतदान करते समय आपने किसे वोट दिया, उसका ब्योरा इसमें होता है। मतदान करते समय इसे देखा जा सकता है। इससे एक पर्ची निकलती है जिस पर कैंडिडेट का नाम और चुनाव चिह्न होता है। ये पर्ची कुछ सेकंड तक दिखाई देती है, फिर नीचे गिर जाती है।
भारत में पहली बार कहाँ हुवा था EVM मशीन का इस्तेमाल?
भारत में ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से पहली बार मई 1982 में केरल में विधानसभा चुनाव कराए गए। उस समय ईवीएम से चुनाव कराने का कानून नहीं था। 1989 में इसके लिए कानून बना। हालांकि, कानून बनने के बाद भी कई सालों तक ईवीएम का इस्तेमाल नहीं हो सका। 1998 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली की 25 विधानसभा सीटों पर ईवीएम से चुनाव कराए गए। 1999 में 45 लोकसभा सीटों पर भी ईवीएम से वोट डाले गए। मई 2001 में पहली बार तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल की सभी विधानसभा सीटों पर ईवीएम से वोट डाले गए