शिवपाल ने अपनी पार्टी का किया सपा में विलय, अखिलेश की उपस्थिति में सपा का झंडा थामा।

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लखनऊ 08 दिसम्बर 2022:  शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी यानी प्रसपा का विलय समाजवादी पार्टी में हो गया है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल को पार्टी का झंडा सौंपा। अखिलेश ने शिवपाल के चरण-स्पर्श करके आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके पश्चात दोनों बहुत समय तक कार्यकर्ताओं के बीच में साथ-साथ बैठे दिखायी दिये ।

अखिलेश और शिवपाल सिंह यादव ने गुरुवार को एक साथ सैफई में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी विलय की घोषणा की। मैनपुरी उपचुनाव का आखिरी परिणाम आने से पूर्व यूपी की राजनीतिक में बड़ा टर्निंग प्वाइंट नजर आया है।

इस पल वहां शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित रहे। हालाँकि पार्टी का विलय होने के पश्चात शिवपाल सिंह यादव ने मीडिया से वार्ता की। और उन्होंने बताया कि, “अब 2024 में हम साथ लड़ेंगे। हमारी पार्टी का विलय हो गया है।”

इससे पूर्व मैनपुरी में काफी बढ़त के पश्चात सपा प्रमुख अखिलेश और शिवपाल यादव इटावा पहुंचे। सबसे पूर्व  अखिलेश यादव मुलायम सिंह की समाधि स्थल पर  गये। उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उसके पश्चात वह सीधे चाचा शिवपाल यादव से मिलने गये।

शिवपाल बोले- अफसरों से वोट मांगते थे मंत्री

शिवपाल यादव ने कहा कि ये विजय नेताजी की विजय है। उनके विकास कार्यों की विजय है। अभी भी नेताजी का जलवा कायम है और ऐसे ही रहेगा। शिवपाल यादव ने आरोप लगाया कि यहां जो भी भाजपा का मंत्री आता था सीधे अफसरों से कहता था कि किसी पर केस करो या परेशान करो लेकिन वोट मत डालने देना। लेकिन इसके पश्चात जो भी वोट डाल पाए उन्होंने नेताजी को चुना। जनता ने नेताजी के आदर्शों पर चलकर वोट दिया है।

शिवपाल ने बताई थी अखिलेश के साथ आने की वजह

उपचुनाव में प्रचार के समय  एक नुक्कड़ सभा में शिवपाल ने अखिलेश के साथ आने की वजह बताई थी। उन्होंने  बताया था कि चुनाव से पूर्व बहू डिंपल ने फोन किया था। बहू ने कहा कि मैं चुनाव लड़ रही हूं। आपका आशीर्वाद चाहिए। आप साथ आ जाओ। हम लोगों को एक साथ रहना है। इस पर बहू से मैंने कहा कि हम एक हो जाएंगे, लेकिन अखिलेश कुछ गड़बड़ करें तो तुम गवाह रहोगी न। बहू ने हां में जवाब दिया तो हम एक हो गए।

शिवपाल ने कार्यकर्ताओं से कहा था नेताजी के न रहने पर डिंपल को जिताना हमारी भी प्रतिष्ठा का प्रश्न है। इसलिए आपसभी से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि अधिक से अधिक वोट देकर सपा की प्रत्याशी डिंपल यादव को विजयी बनाएं।

अखिलेश-डिंपल ने चाचा के घर जाकर लिया था आशीर्वाद

इससे पूर्व 8 नवंबर को अखिलेश यादव, डिंपल सहित चाचा शिवपाल यादव से मिलने उनके घर गये थे। बंद कमरे में  लगभग एक घंटे तक बातचीत की थी। इस समय शिवपाल के बेटे आदित्य भी साथ थे। मुलाकात के पश्चात शिवपाल यादव ने भी ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा- जिस बाग को सींचा हो खुद नेता जी ने,उस बाग को अब हम सीचेंगे अपने खून पसीने से। इसके पश्चात माना जा रहा है कि चाचा भतीजे में चल रही कड़वाहट कम होने लगी है।

2017 से चल रहा था मतभेद

 विधानसभा चुनाव 2017 से पूर्व यादव परिवार में अलगाव की सुचना आईं थी। उस समय शिवपाल यादव ने सपा से अलग होकर अपनी अलग पार्टी बनाई थी। उन्होंने 2017 विधानसभा चुनाव और 2019 का लोकसभा चुनाव अपनी ताकत पर लड़ा था। लेकिन परिणाम इच्छानुसार नहीं आए थे। 2022 विधानसभा चुनाव अखिलेश और शिवपाल साथ लड़े, लेकिन परिणाम वही रहे थे। चुनावों के पश्चात चाचा-भतीजे के बीच दूरियां बढ़ती गई।

यहां तक कि अखिलेश ने पत्र जारी कर कहा था कि शिवपाल को जहां सम्मान मिले वहां चले जाएं। इस पर शिवपाल ने भी जवाब दिया था। उन्होंने कहा कि वह तो हमेशा से आजाद रहे हैं। लेकिन सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के स्वर्गवाश के पश्चात दोनों के बीच दूरियां कम हो गईं।

2018 में शिवपाल ने प्रसपा का किया था गठन

समाजवादी पार्टी से अलग होकर 29 अगस्त 2018 को समाजवादी नेता और मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) यानी प्रसपा का गठन किया था। प्रसपा ने लोकसभा चुनावों के पश्चात त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में अपने प्रत्याशी उतारे थे।