लखनऊ में 3 जालसाज हिरासत में, हर्बल प्रोडक्ट के नाम पर नशीली औषधियाँ बेचते थे।

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लखनऊ 16 जनवरी 2023: यूपी एसटीएफ ने हर्बल औषधियों के नाम पर नशीली औषधियों की बिक्री करने वाले अंतरराष्ट्रीय 3 स्मगलरों को   हिरासत में ले लिया है। यह लोग मांग के अनुसार लखनऊ एवं निकट के जनपदों में नशीली औषधियाँ पहुंचाते थे।  ये सारे लेन-देन का गेम डार्क वेब के जरिये बिटकॉइन में किया जाता था। एसटीएफ इस गिरोह को नशीली  औषधियों की आपूर्ति करने वालों को ढूंड रही है।

 मांग के अनुसार कोरियर से भेजते थे औषधियाँ

एसटीएफ के अनुसार,प्रतिबंधित नशीली औषधियों की जानकारी पर लखनऊ कैंट निलमथा के रहने वाले यासिर जमील, सहादतगंज के हमजा एवं इनामुल हक को हिरासत में लिया गया। जाँच में इन लोगों ने कहा कि, डार्क वेब के द्वारा नशीली औषधियाँ बेचते थे। ये प्रतिबंधित नशीली औषधियाँ लखनऊ एवं निकट के जनपदों के स्मगलरों  से खरीदी जाती थीं। इसके पश्चात इन्हें कुरियर से भेजा जाता था एवं बिटकॉइन में भुगतान प्राप्त किया जाता था।

यह लोग सिपमैक्स कोरियर कम्पनी के द्वारा कोरियर कर दवाएं यूएसए भेजता था। इन लोगों ने अमेरिका में  करीब 150 बार से ज्यादा औषधियों की बड़ी खेप भेजी है।

डार्क वेब से तलाशते थे ग्राहक

हमजा व इमामुल-हक उर्फ इनाम ने कहा कि, यह लोग नशीली औषधि ट्रामाडोल एवं लाइपिन-10 बेंचते हैं। जिसके खरीदार डार्क वेब से तलाशते थे। उसके पश्चात मूल्य निर्धारित हो जाने पर उनका पता लिख लेते है। इसके पश्चात उस पते व मांग को यासिर को व्हाटसएप के द्वारा भेज देते है।

यासिर उस ग्राहक को आपूर्ति करके हमे उस कोरियर का ट्रेकिंग आईडी भेज देता है। हम लोग भुगतान गेटवे, बिट क्वाइन व हवाला के जरिये से भुगतान लेने के पश्चात डेटा को मिटा दिया करते है।

30 रुपया का पत्ता USA में 700 में बेचता था गिरोह

गैंग का मास्टर माइंड यासिर ने कहा कि नशीली दवाओं की विदेश में काफी मांग है। यहां 30-40 रुपये में मिलने  वाली प्रतिबंधित औषधि का पत्ता अमेरिका में 600 से 700 रुपये तक में बिकता है।

हर्बल औषधि का लेबल लगाने पर लाइंसेंस की नहीं होती आवश्यकता

यासिर ने कहा कि,औषधियों के पत्तों पर हर्बल दवाइयों के नाम का रैपर लगाकर विदेश भेजते थे। जैसे Herbal Villa Immunity Booster Unique Miuture of 14 Herbs & Ayurvedic Medicines, ENHANCES BODY Immunity General Tonic इत्यादि। इनका रैपर स्वयं ही बनाते हैं। हर्बल प्रोडेक्ट के रैपर लगाने से जांच कम होती है, क्योंकि हर्बल औषधियों का कोई लाइसेंस नहीं होता है।