लखनऊ 09 मार्च 2022: पांच राज्य में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कई नेताओ ने ईवीएम पर सवाल उठाना शुरू कर दिया हैं। हालांकि इससे पहले भी कई बार राजनीतिक दलों ने ईवीएम को लेकर बार-बार सवाल उठाए हैं। वहीं चुनाव आयोग ने हर बार इन सवालों का जवाब दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी ईवीएम मशीन की विश्वसनीयता को सुनिश्चित किया गया है।
आइए जानते हैं ईवीएम मशीन से जुड़े हर उस सवाल के बारे में जो हमारे मन में उठते रहते हैं जैसे कि ईवीएम मशीन भी हैक हो सकती है? आखिर ईवीएम मशीन कैसे काम करती है? और मौजूदा दौर में दुनिया में किन देशों में ईवीएम मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है?
2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान ईवीएम मशीन को लेकर सवाल उठाए गए थे क्योंकि अमेरिका स्थित एक हैकर ने दावा किया था कि वर्ष 2014 के चुनाव के दौरान ईवीएम मशीन को हैक किया गया था। इस चुनाव के दौरान भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को पूर्ण बहुमत से जीत हासिल हुई थी, हालांकि चुनाव आयोग ने इन सभी दावों का खंडन किया था। इसके बाद यह मामला अदालत तक पहुंच गया। लेकिन चुनाव आयोग ने हमेशा वोटिंग मशीन को हैकिंग प्रूफ बताया है।
भारत में चुनाव के लिए 16 लाख ईवीएम मशीन का उपयोग किया जाता है एक ईवीएम मशीन में अधिकतम 2000 वोट डाले जा सकते हैं। समय-समय पर वोटिंग मशीन को लेकर आशंकाएं जाहिर की गई भारत सरकार के संस्थानों ने इन दावों को पूर्णता खारिज किया है कि मशीन में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नामुमकिन है।
हालांकि अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी से जुड़े शोधकर्ताओं ने दावा किया है। कि मशीनों के नतीजों को बदला जा सकता है। इसमें दावा किया गया है कि रिसीवर स्किर्ट और एक एंटीना को मशीन के साथ जोड़कर ऐसा करना संभव है। वहीं चुनाव आयोग का दावा है कि भारतीय वोटिंग मशीन में ऐसा कोई सर्किट एंटीना नहीं है।
वोटिंग मशीन पर सुप्रीम कोर्ट का क्या है आदेश;
4 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया था कि सभी वोटिंग मशीनों में वीवीपैट मशीन भी लगाई जानी चाहिए। बता दे वीवीपैट मतदान से जुडी रस्सीदो को छापने का काम करता है। यानी जब एक मतदाता ईवीएम मशीन पर अपना वोट डालता है तो वह वह दर्ज होगा प्रिंटिंग मशीन के द्वारा एक रसीद निकालता है और इस रसीद पर सीरियल नंबर उम्मीदवार का नाम चुनाव चिन्ह दर्द होता है और यह सूचना एक पारदर्शी स्किन पर 7 सेकंड के लिए उपलब्ध होती है और 7 सेकंड बाद यह रसीद एक सीलबंद डिब्बे में जाकर गिर जाती है।
वहीं चुनाव आयोग के पूर्व प्रमुख एसवाई कुरैशी के मतानुसार मतदान रसीद की वजह से मतदाता और चुनावी दलों की आशंका समाप्त हो जानी चाहिए।
कैसे काम करती है EVM मशीन:
मतदाता केंद्र पर मतदाताओं को अपने पसंदीदा उम्मीदवार की पार्टी से जुड़ा चुनाव चिन्ह के बटन को दबाना होता है। मताधिकार का उपयोग करते हैं यह रिकॉर्ड मशीन में दर्द हो जाता है ताकि मतदाता केंद्र पर हमले या जबरन वोट डालने की स्थिति में फर्जी मतों को रोका जा सके और मतदान से जुड़े रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने के लिए मशीन पर मोम की परत चढ़ा दी जाती है इसलिए साथ चुनाव आयोग की ओर से आने वाली एक चिप और सीरियल नंबर होते हैं।
बता दे अभी तक ईवीएम मशीन का उपयोग भारत में 120 से ज्यादा विधानसभा चुनावों के लिए इस्तेमाल किया जा चुका है इन मशीनों के उपयोग से मतगणना का काम काफी तेज होता है लोकसभा चुनाव के दौरान महल 3 घंटे से 5 घंटे के भीतर परिणाम सामने आ जाते हैं। वही बैलेट पेपर से मतदान के दौर में यह काम को पूरा करने में 40 घंटे का समय लग जाएगा।
EVM मशीन पर गहराता विवाद:
दुनिया भर के करीब 33 देशों में चुनाव के लिए अलग-अलग तरह की इलेक्ट्रॉनिक मशीन की प्रक्रिया को अपनाया जाता है हालांकि इन मशीनों की भी प्रमाणिकता पर समय-समय सवाल उठते रहे हैं। 2017 में वेनेजुएला में वोटिंग मशीन को लेकर सवाल खड़े हुए थे। वहीं अर्जेंटीना में एक चुनाव के दौरान ईवीएम मशीन के नतीजों के साथ छेड़छाड़ की आशंका जाहिर की गई थी। इसके बाद से ही वोटिंग मशीन योजना को दरकिनार कर दिया गया वहीं 2018 में इराक में हुए चुनाव के बाद इलेक्ट्रॉनिक मशीन में गड़बड़ी की खबर सामने आई थी।