यूपी के समस्त पीएचसी पर स्थापित होंगे हेल्थ एटीएम, स्पेस्लिस्ट डॉक्टरों से प्राप्त होंगी सलाह व दवाएं।

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लखनऊ 16 दिसम्बर 2022: यदि मरीज गंभीर रोग से ग्रसित नहीं है। उसे विशेष सर्जरी (ऑपरेशन) की आवश्यकता नहीं है तो निकट के पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र)  पर जाकर ही स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं की पूर्ति हो सकेगी। यहां लगा हेल्थ एटीएम स्वास्थ्य से सम्बंधित समस्त(60) परीक्षण करके रोग सम्बंधित जानकारी दे देगा। रोग का कारण पोषक तत्व की कमी या अन्य कारण तो नहीं। इसकी भी जानकारी आसानी से उपलब्ध होगी। इसके इलाज हेतु लखनऊ के एसजीपीजीआई या केजीएमयू के मेडिकल स्पेस्लिस्ट से भी परामर्श प्राप्त किया जा सकेगा। एवं वहीं पर दवाएं भी उपलब्ध होंगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस 

योजना द्वारा शीघ्र ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह अकल्पनीय परिवर्तन दिखने लगेगा। स्वास्थ्य क्षेत्र में होने वाली इस क्रांति के वाहक बनेंगे हेल्थ एटीएम और टेलीमेडिसिन। इस योजना के अंतर्गत सरकार प्रदेश के समस्त पीएचसी (4600) पर हेल्थ एटीएम स्थापित करेगी। इन पर परीक्षण करने वालों को सरकार प्रशिक्षण भी देगी। यह व्यवस्था प्रारंभ भी हो चुकी है।

स्वास्थ्य क्षेत्र पर विशेष नजर

वास्तव में स्वास्थ्य क्षेत्र पर मुख्यमंत्री की विशेष नजर रहती है। गोरखपुर संसदीय सीट का लगभग दो दशक तक प्रतिनिधित्व करने के पश्चात उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण इंसेफेलाइटिस से मरते पूर्वांचल के हजारों बच्चों और इससे उनके माता-पिता को होने वाले दर्द को गहराई से महसूस किया है। मुख्यमंत्री होने के पश्चात उन्होंने इस क्षेत्र में बहुत कार्य किया। उन्होंने यह भी जाना कि किस प्रकार संसाधनों के न होने के कारण कोई मेडिकल कॉलेज मात्र  रेफरल सेंटर बनकर रह जाता है। रेफर किये जाने वाले अनेक मरीजों के बचने का सुनहरा अवसर लखनऊ, दिल्ली या मुंबई जाते -जाते समाप्त हो जाता है। इसलिए इनमें से अनेक लोगो की असमय मृत्यु हो जाती है। मुख्यमंत्री के विचारनुसार,स्वास्थ्य क्षेत्रों में जो  कार्य हो रहे हैं, उससे इसमें बहुत ज्यादा  कमी आएगी।

उपचार  एवं  भर्ती के लिए नहीं होगी अफरातफरी

यही नहीं विशिष्टता वाले केंद्रों में भी उपचार या दाखिले हेतु पूर्व की तरह अफरातफरी नहीं होगी, क्योंकि योगी के कार्यकाल में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 12 से बढ़कर 35 हो गई है। मुख्यमंत्री का लक्ष्य एक जिला, एक मेडिकल कॉलेज का है। लगभग सप्ताह भर पूर्व योगी सरकार ने ‘एक जिला, एक मेडिकल कॉलेज’ कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए 6  जनपदों में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए टेंडर निकाल दिए हैं। इस प्रक्रिया के द्वारा महोबा, मैनपुरी, बागपत, हमीरपुर, हाथरस और कासगंज में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए निवेशकों का चयन किया जाएगा। केंद्र सरकार ने वायबलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) योजना के अंतर्गत 06 जनपदों में और मेडिकल कॉलेज खोलने की सैद्धांतिक स्वकृति दे दी है। उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है, जिसने पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए टेंडर निकाले हैं। इन्हें खोलने में लगभग 1525 करोड़ रुपये का खर्च आएगा और केंद्र सरकार सब्सिडी का लगभग 1012 करोड़ रुपये भार उठाएगी। एक कॉलेज को अनुमानित 160 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्राप्त होगी। महराजगंज और शामली में मेडिकल कॉलेज खोलने  हेतु निवेशकर्ता को शामिल कर कार्य प्रारंभ हो गया है। अगले वर्ष तक महराजगंज में इलाज भी प्रारंभ होने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त शामली और मऊ में मेडिकल कॉलेज प्रक्रियाधीन है। 

आयुर्वेद सहित अन्य उपचार विधियों पर भी समान विचार

सरकार बिना किसी विपरीत प्रभाव के  बिमारियों को शुरु से समाप्त करने वाली उपचार की परंपरागत विधाओं के सम्बन्ध में भी निरंतर विचार कर रही है। इसके लिए गोरखपुर में प्रदेश का पहला आयुष विश्वविधालय निर्माणाधीन है। कुछ दिन पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गाजियाबाद के कमला नेहरू नगर में 382 करोड़ की कीमत से निर्मित राष्ट्रीय यूनानी केंद्र का भी उद्घाटन किया। उत्तर प्रदेश में होने के कारण अत्यधिक फायदा भी यहां की जनता को ही उपलब्ध होगा। इस प्रकार केंद्र एवं प्रदेश सरकार के सयुंक्त सहयोग आने वाले सालों में प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र का विस्तारीकरण निश्चित है।