लखनऊ 22 दिसम्बर 2022: लखनऊ वाजिद अली शाह चिड़ियाघर में 2009 में किशनपुर से लाया गया बाघ किशन इन दिनों अपनी आखिरी साँस गिन रहा है। उसने 5 दिन से कुछ नहीं खाया है। चिड़ियाघर के डाक्टर उसे बचाने हेतु काफी कोशिश कर रहे हैं। इसके पश्चात भी बाघ किशन की उम्र और उसका कैंसर उसके तबीयत को दिन-प्रतिदिन और ख़राब कर रहा है। जिसके कारण चिकित्सकों के मन में कहीं न कहीं यह प्रश्न खड़ा हो रहा है कि यह बच पाएगा या नहीं।
किशन बाघ की क्या है पूरी कहानी
2009 में, जब इसे किशनपुर से लखनऊ ज़ू लाया गया था। वन विभाग की टीम इसे रेस्क्यू कर लखनऊ के चिड़ियाघर लाई थी। ऐसा कहा जाता है कि किशनपुर में इस बाघ ने चार लोगों को मार डाला था, अनेक पशुओं का इसने शिकार किया था और काफी उत्पात मचाया था।काफी प्रयास से यह पकड़ा गया था। जब 2009 में इसे यहां पर लाया गया, तो डाक्टरों ने शुरुआती परीक्षण में देखा था कि किशन को मुंह और कान में कैंसर है, जिसके बाद इसका उपचार किया गया। काफी आश्चर्य करने वाली बात यह है कि विगत 13 वर्षों से यह बाघ इस कैंसर को झेलता हुआ अभी तक जीवित रहा।
संभावनाएं कम हैं
डाक्टरों ने इसकी खूब देखभाल की। इसे लाइन हाउस में रखा गया और अति शीघ्र यह दर्शकों का काफी चहेता हो गया। दर्शक इसे देखकर अक्सर खुशी से झूम जाते थे। वैसे अब इसे आइसोलेशन में रखा गया है और इसका उपचार हो रहा है। परन्तु विगत 4 दिनों से कुछ न खाने के कारण कहीं न कहीं इसके आखिरी पड़ाव पर होने की सम्भावना डाक्टरों को परेशान कर रही है।