लखनऊ 17 जनवरी 2023: लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ग्रीन कॉरिडोर के दूसरे चरण के कार्य हेतु कॉल्विन तालुकेदार्स की रिक्त पड़ी 1 लाख वर्गमीटर (10 हेक्टेयर) जमीन को बेचकर पैसा इकटठा करेगा। प्राधिकरण ने शासन को पत्र भेजकर नजूल की इस जमीन को वापस माँगा है। पत्र भेजने से पूर्व ही एलडीए इस प्रस्ताव पर बोर्ड की स्वीकृति प्राप्त कर चुका है। बाजार के प्रस्तावित मूल्य के हिसाब से इस जमीन का मूल्य 700 करोड़ रुपये माना जा रहा है।
एलडीए ने ग्रीन कॉरिडोर के पहले चरण के कार्य का प्रारंभ जरूर अपने कोष से करा दिया हो, पर आगे का कार्य अपने बल पर कराना उसके लिए बड़ा चेलेंज है।इसलिए दूसरे,तीसरे और चौथे चरण के कार्य हेतु पैसे की व्यवस्था करने की उसने पहल प्रारंभ कर दी है। इसी के अंतर्गत कॉल्विन तालुकेदार्स की जमीन प्राधिकरण वापस मांग रहा है। नजूल की यह जमीन रिक्त पड़ी है। इस पर न तो कॉलेज बना एवं न ही खेल मैदान है। जमीन वापस प्राप्त होने के पश्चात एलडीए इसे बिल्डरों को बेचेगा। इस जमीन पर अपार्टमेंट की तरह रिहायशी कॉलोनी को बसाया जा सकता है।
प्रतिस्पर्धा बढ़ी तो जमीन के प्राप्त हो सकते 1000 करोड़
लखनऊ विश्वविधालय के सामने स्थित इस नजूल की जमीन का मूल्य मार्केट मूल्य के हिसाब से 70 हजार रुपये प्रति वर्गमीटर है। बिल्डरों के अनुसार,1 लाख वर्गमीटर जमीन के सरलता से 700 करोड़ रुपये प्राप्त हो जायेंगे। बिल्डरों का यह भी कहना है कि, प्रतिस्पर्धा में यहां की जमीन एक लाख रुपये प्रति वर्गमीटर भी बिक सकती है। वास्तव में,ये जमीन अपार्टमेंट के रूप में बहुत ही महत्वपूर्ण है।
स्वीकृति नहीं दी गयी तो लटक सकता है ग्रीन कॉरिडोर का कार्य
ग्रीन कॉरिडोर के दूसरे एवं तीसरे चरण के कार्य हेतु पैसे की व्यवस्था नहीं हुई तो योजना लटक सकती है। एलडीए को इस कार्य हेतु स्वयं ही पैसों की व्यवस्था करनी है। इसलिए काल्विन तालुकेदार्स की जमीन को एलडीए को वापस करने की स्वीकृति नहीं दी गयी तो ग्रीन कॉरिडोर का कार्य लटक सकता है।