Lucknowi Biryani: जानिये लखनवी बिरयानी का इतिहास, नबाबों की दौर से परोसा जा रहा है लखनवी बिरयानी

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किसी भी अच्छे खाने,महक एवं स्वाद के पीछे उसको बनाने का तरीका सबसे महत्वपूर्ण होता है। Lucknowi Biryani खाने का मजा ही अलग है। देश के विभिन्न हिस्सों में खायी जाने वाली बिरयानी का विशेष स्थान है। Lucknowi Biryani ऐसी बिरयानी है जिसमे न तो टुटा हुआ चावल होता है,साथ ही खिले-खिले चावल के साथ मसालों की खुशबु सहित पका हुआ नरम गोश्त होता है। इस प्रकार की बिरयानी जो दम पुख्त शैली से बनाई जाती है।

Lucknowi Biryani का स्वाद अलग है

भारत के अलग-अलग प्रदेशों में विभिन्न प्रकार के खाने की खुशबु महकती है। राजस्थान का दाल भाटी चुटका आपका दिल जीत लेता है। वहीं आप अगर पहाड़ी इलाकों में जाएँ तो यहां पैदा होने वाली सब्जियां फल एवं खान-पान में संस्कृति नजर आती है। साऊथ में पत्तों में परोसा जाने वाले खाने से लेकर मैसूर का डोसा तक, यहां हर प्रदेश का खाना और उन्हें बनाने का तरीका अलग-अलग है।

भारत में सबसे अधिक आबादी वाला प्रदेश उत्तर प्रदेश में भी खाने को लेकर अपनी एक अलग पहचान है। यहां खाने की बात चलते ही लखनऊ का नाम अपने आप जुबान पर चला आता है। यहां आज भी लगभग 300 वर्ष पहले से चले आ रहे अवधी व्यंजन की झलक नजर आती है। लखनऊ में जगह-जगह बहुत कम दामों में मिलने वाला कबाब सभी को पसंद है। तथा बहुत विशेष एवं स्वादिष्ट व्यंजन में दम बिरयानी भी शामिल है। Lucknowi Biryani बिरयानी की शुरुआत कब हुई आइये जानें।

Lucknowi Biryani की शुरुआत

दूर-दूर से लोग लखनऊ की धड़कन कहे जाने वाले इमामबाड़ा को देखने आते हैं। वर्ष 1784 में इसे अवध के नवाबों ने बनवाया था। बिरयानी बनने की शुरुआत यहीं से होती है। नवाब आसफ-उद-दौला 18वीं शताब्दी में मजदूरों का पेट भरने के लिए अच्छे खाने का इंतजाम करते थे। उन्होंने वर्ष 1784 में बड़ा इमामबाड़ा के निर्माण के समय एक बड़े भगोने में चावल,मसाले का मिश्रण एवं माँस डालकर और आटे से सील कर इसे पकवाया था।

यह रात भर पकती थी। एवं मजदूरों को सुबह खिलाई जाती थी। जैसे-जैसे इमामबाड़ा तैयार होता गया, बिरयानी की महक एवं स्वाद भी इसी प्रकार फैलता गया। धीमी आंच पर खड़े मसालों के साथ गोश्त एवं चावल को ढककर, पकाकर काम करने वाले मजदूर अपनी भूंख मिटाते थे। परन्तु कहावत है कि, “अच्छी एवं कीमती चीज अधिक समय तक किसी से नहीं छिपती।”

अपने स्वाद व् खुशबु से बिरयानी ने सभी का मन मोह लिया। ये बिरयानी धीरे- धीरे शाही रसोई के व्यंजनों में शामिल हो गयी, और बिरयानी बनने का कारवां आगे बढ़ता गया। इसके बाद से ही ये मुगलिया दस्तरखान का विशेष व्यंजन बनी हुई है।

अनेक प्रकार की है Lucknowi Biryani

लखनऊ में आज भी उसी पुराने एवं शाही तरीके से बिरयानी बनाई जाती है। शायद यही वजह की हर कोई कहता है कि, बिरयानी खानी है, तो लखनऊ जाओ। शेखावट रेस्तरां के मालिक मश्ताक अली कहते है कि, 365 दिनों का 1 वर्ष होता है, एवं 365 प्रकार की बिरयानी भी है। मतलब आप अगर रोज 1 वैराइटी की बिरयानी खाएं, तो सभी वैराइटी की बिरयानी खाने में आपको 365 दिन लग जायेंगे।