लखनऊ 2 जनवरी 2023: उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के बिना नगर निकाय चुनाव कराने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के निर्णय के विरुद्ध दाखिल यूपी सरकार की अपील सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार कर ली है। इस अपील पर सर्वोच्च न्यायालय अब 4 जनवरी को सुनवाई करेगा। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपील स्वीकार किया जाना सरकार के लिए अच्छा समझा जा रहा है। इससे योगी सरकार सर्वोच्च न्यायालय में बता पाएगी कि उसने 1993 के पश्चात से चली आ रही रैपिड परीक्षण कार्यवाही का पालन किया है। उसने उच्च न्यायालय के निर्णय के पश्चात 24 घंटे में ही अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग भी बना दिया है, जिससे तीसरे परीक्षण सूत्र के अनुसार उन्हें सीटें आरक्षित की जा सकें।
सरकार ने 5 दिसंबर को नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों के लिए आरक्षण की घोषणा की थी। इसमें 17 नगर निगम, 200 नगरपालिका और 545 नगर पंचायतों के लिए चुनाव होना था। जबकि उच्च न्यायालय ने रैपिड परीक्षण के अनुसार आऱक्षण की दलील को निरस्त करते हुए बताया कि, सरकार तीसरे परीक्षण की कार्यवाही का पालन करते हुए 31 जनवरी तक चुनाव कराए।
सरकार ने जो 5 सदस्यीय आयोग बनाया है, उसकी पहली मीटिंग भी की जा चुकी है। आयोग के अनुसार, वो ढाई से 3 माह में रिपोर्ट उपलब्ध करा सकता है। एवं समस्त कार्यवाही के पालन में 6 महीने का वक़्त व्यतीत हो सकता है।इसलिए जून-जुलाई से पूर्व चुनाव के आसार प्रतीत नहीं हो रहे हैं। वैसे सरकार का मानना है कि, सर्वोच्च न्यायालय उसकी दलीलों को तर्कसंगत मानकर रैपिड परीक्षण के अनुसार ही स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्णय सुना सकता है। इसलिए वो महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश औऱ तमिलनाडु में ओबीसी आरक्षण के संबंध में दिए गए निर्णय को भी नजीर बना सकता है।
अगर सर्वोच्च न्यायालय रैपिड परीक्षण के अनुसार चुनाव न कराने एवं तीसरे परीक्षण की कार्यवाही को किसी भी स्थिति में पूर्ण करने की बात बताता है। तो सरकार कुछ वक़्त की मांग कर सकती है, जिससे 31 जनवरी तक आरक्षण कार्यवाही पूर्ण करने के उच्च न्यायालय के निर्णय से संबंधित कोई अवमानना न हो। वैसे सरकार फरवरी-मार्च-अप्रैल में शायद ही चुनाव करा पाए, क्योंकि यूपी बोर्ड, सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाओं एवं रिजल्टों को देखते हुए शिक्षकों औऱ अन्य कर्मचारियों को निर्वाचन कार्य में नियुक्त कर पाना असंभव होगा।