लखनऊ 31 दिसम्बर 2022: नव विकसित क्षेत्रों में प्राईवेट कॉलोनियों में लोगों को संपत्तियां जैसे प्लाट, रो-हाउस बेचकर निकल जाने वाले बिल्डर,एजेंट पर अब जिला पंचायत कड़ाई करेगा। नगर निगम की सीमा के बाहर के क्षेत्रों में इनका विभव एवं संपत्ति कर (सीपी टैक्स) रजिस्ट्रेशन आवश्यक होगा। इसके अतिरिक्त इन पर कर भी लगेगा। एलडीए की सीमा में आए नए क्षेत्रों को इसमें विशेष रूप से मिलाया गया है।
जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी प्रणव पांडेय के अनुसार,देखा जाता है कि अनेकों बार प्राईवेट बिल्डर बिना आवश्यक मानचित्र पास कराए और जमीन ख़रीदे ही लोगों को प्लाट बेच देते हैं। ज्यादातर वक़्त यही होता है कि खरीदारों का बैनामा भी सीधे किसान से कराया जाता है। इसलिए इन बिल्डर या उसके एजेंटर का कोई आधिकारिक विवरण नहीं होता है। जिला पंचायत अब इसे सुनिश्चित कराएगा।
बिना जिला पंचायत में रजिस्ट्रेशन के कोई प्लाट या अन्य संपत्ति नहीं बेची जा पाएंगी। मात्र एजेंट या बिल्डर ही नहीं योजना पर कार्य कर रहे आर्किटेक्ट के लिए भी रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक होगा। ऐसा नहीं करने पर उनके विरुद्ध क़ानूनी कार्यवाही प्रारंभ की जाएगी।
अफसरों के अनुसार, इसके लिए जिला पंचायत अधिनियम में शामिल विभव एवं संपत्ति कर का आरोपण, निर्धारण और वसूली नियमावली 205 में पंजीकरण व कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। अभी तक केवल विकसित क्षेत्रों में चुनिंदा व्यावसायिक उपयोग की संपत्तियों से ही टैक्स वसूला जाता था। अब शासन के निर्देश पर बिल्डर, एजेंट को भी इसकी सीमा में लाया गया है।
अपर मुख्य अधिकारी ने एलडीए सचिव को भी एक पत्र दिया है। इसमें नगर निगम की सीमा के बाहर के 197 ग्राम में पास किए गए नक्शों और ग्रामों की लिस्ट मांगी है। इससे यह निर्धारित किया जायेगा कि कौन से ऐसे बिल्डर हैं, जिनके नक्शे भी पास नहीं और लुक छिप कर कार्य कर रहे हैं। प्राधिकरण की सीमा से बाहर के क्षेत्रों में भी इसके लिए कड़ाई करनी है।
अपर मुख्य अधिकारी प्रणव पांडेय के अनुसार, अभी इस टैक्स से जिला पंचायत की मात्र 60 लाख रुपये ही आमदनी होती है। नए क्षेत्रों और बिल्डरों को इस सीमा में लाने के पश्चात इसमें वृद्धि होगी। इससे अविकसित क्षेत्रों में सफाई से लेकर स्ट्रीट लाइट, सड़क मरम्मत जैसे आवश्यक कार्य कराए जा सकेंगे। सबसे ज्यादा लाभ उन लोगों का होगा, जो इन बिल्डर और एजेंट के द्वारा प्लाट या रोहाउस खरीद रहे हैं। जिला पंचायत शीघ्र ही सीपी कर की दरों में वृद्धि के प्रस्ताव को भी तैयार करेगा। अभी अधिकतम 6000 रुपये ही प्रति रजिस्ट्रेशन लिए जा सकते हैं। अगर कोई सारी टाउनशिप बसाएगा तो भी बिल्डर को उतना ही पैसा देना होगा, जितना कोई 4 रो हाउस बनाने वाला देगा। इसलिए आवश्यक है कि बड़े बिल्डर या व्यावसायिक संपत्तियों के मालिकों पर ज्यादा सीपी कर लगे। जिला पंचायत नगर निगम सीमा के बाहर के इलाकों में व्यावसायिक गतिविधियों पर यह टैक्स लगाया जाता है।