लखनऊ 17 दिसम्बर 2022: लखनऊ के निजी स्कूलों में बच्चों को शिक्षा प्रदान करा रहे गार्जियंस की जेब पर अगले शैक्षिक सत्र से भार अधिक हो जायेगा। शुक्रवार को अनएडेड निजी स्कूल संगठन ने मीटिंग करके नर्सरी से 12वीं तक के शुल्क में 12 % तक की वृद्धि करने का निर्णय लिया है। स्कूल अपने तरीके से इस दायरे तक शुल्क में वृद्धि कर सकते हैं।
संगठन के तहत, उत्तर प्रदेश शुल्क विनियमन अधिनियम 2018 के निर्धारित फॉर्मूले की तरह ही शुल्क में बढोत्तरी हो रही है। इसमें प्राइवेट स्कूलों में सालाना कंपोजिट शुल्क में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) की मात्रा और 5% वृद्धि की गयी शुल्क को मिलाकर फीस में वृद्धि की जा सकती है। इस शैक्षिक सत्र के लिए सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की तरफ से सीपीआई की मात्रा 6.69% है। अधिनियम के तहत इसमें 5% मिलाकर 11.69% तक शुल्क में वृद्धि की जा सकती है।
अनएडेड निजी स्कूल्स संगठन के अंतर्गत 250 स्कूल हैं। इसके अतिरिक्त जनपदों में निजी स्कूलों की संख्या एक हजार के लगभग है। इनमें 4 से 5 लाख के लगभग बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। संगठन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा कि, अधिनियम के फॉर्मूले के तहत ही शुल्क पर फैसला किया गया है। इस दौरान सीएमएस संस्थापक जगदीश गांधी, संगठन सचिव माला मेहरा, कोषाध्यक्ष रचित मानस, प्रवक्ता ख्वाजा सैफी यूनुस इत्यादि मौजूद थे।
अदालत से अपील करने के पश्चात की थी शुल्क में वृद्धि
साल 2020 में कोरोना काल की वजह से शासन ने शुल्क बढ़ाने पर रोक लगाई थी, जो साल 2021 तक जारी रही। साल 2022 में प्राइवेट स्कूलों के संगठन ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। इसके पश्चात वर्तमान शैक्षिक सत्र में शुल्क में 9% की वृद्धि की गयी। अगले वर्ष से इसमें 12% तक बढोतरी करने का फैसला किया गया है। मीटिंग में अंतरजनपदीय साहित्यिक व खेल प्रतियोगिता कराने का भी निर्णय किया गया।
इसमें संगठन से जुड़े विधालयों के बच्चे कौशल दिखाएंगे
अभिभावक कल्याण संघ के प्रदीप कुमार श्रीवास्तव कहते है कि, उत्तर प्रदेश शुल्क विनियमन अधिनियम 2018 में प्रावधान है कि शुल्क में वृद्धि तभी होगी जब डीएम की अध्यक्षता वाली समिति उस पर सहमति देगी। संगठन ने शुल्क वृद्धि का आदेश किससे लिया है? बिना आदेश शुल्क वृद्धि उचित नहीं है। इसकी छानबीन होनी चाहिए। डीएम सूर्यपाल गंगवार ने बताया कि, अधिनियम के अनुसार स्कूल संचालकों का संगठन शुल्क वृद्धि पर निर्णय कर सकती है। परन्तु वृद्धि इससे ज्यादा प्रस्तावित है तो निर्णय लेने हेतु नियुक्त की गयी समिति की मीटिंग में इसे वार्ता हेतु लाना होगा। इसके सदस्यों की अनापत्ति के पश्चात ही शुल्क अधिनियम में दिए निर्देश से ज्यादा वृद्धि की जा सकती है। वृद्धि किये गये शुल्क पर किसी को आपत्ति है तो वह समिति या डीआईओएस से कम्प्लेन कर सकता है।