लखनऊ 24 दिसम्बर 2022: उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि लखनऊ विश्वविधालय में शैक्षिक सदस्यों की सेवानिर्वृति उम्र 62 साल से बढ़ाकर 65 साल किया जाये।
न्यायालय ने कहा कि, प्रावधानों में इस मामले में संशोधन 3 महीने के अन्दर हो जाएँ। यह फैसला न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की एकल बेंच ने डॉ. प्रेमचंद मिश्रा व अन्य प्रोफेसरों की अनेक अपीलों पर एक साथ पारित किया है
अपीलार्थियों की तरफ से यह बताया गया कि, भारत सरकार का मानव संसाधन विकास मंत्रालय यह फैसला कर चुका है कि केंद्र सरकार द्वारा पोषित उच्च व तकनीकी शिक्षा संस्थानों के स्थाई प्रोफेसरों के रिटायर्मेंट की उम्र 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी जाए। इसके बाद विश्वविधालय ग्रांट कमीशन ने भी 30 जून 2010 को रेग्युलेशन्स, 2010 पारित किया।
उक्त रेग्युलेशन के प्रावधानों में बताया गया है कि, भारत सरकार द्वारा निकले गये 31 दिसम्बर 2008 के शासनादेश यूजीसी से जुड़े समस्त विश्वविधालयों पर लागू होगा। कहा गया की उक्त शासनादेश में स्थाई प्रोफेसरों के रिटायर्मेंट की उम्र 62 सेबढ़ाकर 65 हो गई थी। यह भी बताया गया कि यूजीसी का 2010 का उक्त रेग्युलेशन लखनऊ विश्वविधालय में भी लागु होता है एवं इस मामले में पूर्व में उच्च न्यायालय फैसला सुना चुका है।
न्यायालय ने समस्त हालातों के मद्देनजर राज्य सरकार को शैक्षिक सदस्यों के रिटायर्मेंट उम्र 65 व साल करने का निर्णय सुनाया इसके अतिरिक्त वादियों को अपनी- अपनी सीटों पर तब तक काम करने की स्वीकृति प्रदान की है, जब तक राज्य सरकार इस मामले में कोई फैसला नहीं कर लेती।