Lucknow Samachar 05 अप्रैल 2023: यूपी सरकार में मंत्री दयाशंकर सिंह एवं उनकी पत्नी पूर्व मंत्री स्वाति सिंह की राहें अब अलग हो गईं हैं। दोनों के तलाक को लखनऊ के पारिवारिक न्यायालय ने स्वीकृति प्रदान कर दी है।
पारिवारिक न्यायालय में स्वाति सिंह ने 30 सितंबर 2022 को वाद दायर करके तलाक का प्रार्थना-पत्र दिया था। दयाशंकर सिंह न्यायालय में पेश नहीं हो रहे थे। 22 वर्ष का दोनों का विवाह तलाक के निर्णय के साथ ही कानूनी रूप में समाप्त हो गया।
यह विवाद दोनों के बीच पहली बार नही हुआ। दोनों के बीच 2022 से ठीक 10 वर्ष पूर्व मतलब 2012 में भी विवाद अदालत तक गया था। स्वाति सिंह ने तलाक के लिए उस वक़्त भी न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया था। परन्तु, 2017 में मंत्री बनने के पश्चात पैरवी नहीं की। दोनों पक्षों के अदालत में हाजिर नही होने पर 2018 में मुकदमा ख़ारिज कर दिया था।
दोनों ने की थी लव मैरिज
यूपी की सियासत के दोनों चर्चित चेहरे हैं। पिछली योगी सरकार में स्वाति मंत्री थीं। जबकि इस बार दयाशंकर हैं। विधानसभा चुनाव 2022 से पूर्व ही दोनों के रिश्तों में मनमुटाव की बात चर्चा का विषय रहीं।
दोनों ने वैसे तो लव मैरिज की थी। परन्तु दोनों के बीच अनेक अवसरों पर मनमुटाव के समाचार आते रहें हैं। स्वाति सिंह ने वर्ष 2008 में पति के विरुद्ध मारपीट का केस दर्ज कराया था।
स्वाति सिंह का इसके अतिरिक्त एक ऑडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वह ये बताती हैं कि, मेरी शादी बहुत खराब आदमी से हो गयी है। दयाशंकर सिंह उनसे बहुत मारपीट करते हैं।
भाजपा एवं परिवार से संबंधित के अनुसार, पति-पत्नी (दयाशंकर-स्वाति) एक ही सीट सरोजनीनगर से टिकट चाहते थे। इसका कारण यह था कि, यह भाजपा की सुरक्षित सीट थी।
स्वाति सिंह ने 2017 में पहली बार इसी सीट से चुनाव लड़ा और जीता था। अगले चुनाव में आपसी विवाद के कारण स्वाति सिंह का टिकट कट गया, एवं दयाशंकर सिंह को भाजपा ने बलिया सीट से उतार दिया।
तलाक है एकतरफा
दयाशंकर ने भी तलाक पर चुप्पी तोड़ी है। मीडिया से वार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि, ” तलाक एकतरफा है। न मैंने अर्जी दी। न मैं अदालत गया। अब मैं इस मसले पर आगे नहीं बढूंगा। उनकी (स्वाति) की राजनीतिक महत्वाकांक्षा इसकी वजह है।” वहीं स्वाति सिंह ने सितंबर 2022 में अदालत में यह भी कहा था कि, वह विगत 4 वर्षों से पति से अलग रह रहीं हैं।
दयाशंकर के निलंबित होने पर राजनीती में आयी स्वाति
वर्ष 2016 की बात है। बसपा सुप्रीमो मायावती के संबंध में भाजपा नेता दयाशकंर सिंह ने विवादित बयान दिया था। मायावती पर टिकट बेचने का आरोप लगाते हुए दयाशकंर ने उनके लिए अपशब्द कहे थे।
उनके बयान की इसके पश्चात हर ओर आलोचन होने लगी। एवं बसपा से दयाशंकर सिंह के विरुद्ध कार्यवाही की मांग होने लगी। इस बयान को भाजपा के भी अनेक नेताओं ने गलत ठहराया। उस वक्त बसपा के राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी थे। लखनऊ के हजरतगंज चौराहे पर वो अपने कुछ समर्थकों के साथ विरोध-प्रदर्शन करने पहुंचे।
उन्होंने प्रदर्शन के दौरान दयाशंकर वाली गलती दोहराते हुए उनकी मां, पत्नी और पुत्री के विरुद्ध अपशब्द का प्रयोग किया। स्वाति की बस यहीं से राजनीती में प्रवेश करने की शुरुआत हुई।
नसीमुद्दीन के बयान पर स्वाति सिंह नाराज हो गईं। अपने बयान के कारण दयाशंकर बैकफुट पर चले गए थे। परन्तु जवाब में आई स्वाति सिंह ने नसीमुद्दीन की टिप्पणी पर उन्हें आड़े हाथों लिया। स्वाति सिंह ने मोर्चा सँभालते हुए अपने विरुद्ध चुनावी मैदान में उतरने की बसपा प्रमुख मायावती को चुनौती दे दी।
नसीमुद्दीन एवं दयाशंकर की इस बयानबाजी पर भिन्न- भिन्न तरह से कार्यवाही की गयी। एक तरफ दयाशंकर सिंह की मां की तरफ दर्ज कराई गई FIR की वजह से नसीमुद्दीन को जेल जाना पड़ा, तो वहीं भाजपा ने दयाशंकर को 6 वर्ष के लिए निलंबित कर दिया।
भाजपा ने महिला कार्ड खेलते हुए दयाशंकर के बदले में स्वाति सिंह को ले आए। स्वाति सिंह इस तरह से राजनीति में आईं। पहली बार स्वाति ने 2017 में भाजपा की सुरक्षित सीट सरोजनीनगर से चुनाव लड़ा एवं जीतकर महिला कल्याण विभाग की मंत्री बनीं।
लखनऊ यूनिवर्सिटी में स्वाति की पहली बार हुई दयाशंकर से मुलाकात
मूल रूप से यूपी के बलिया से स्वाति सिंह का परिवार है। परन्तु स्टील सिटी बोकारो में पिता के नौकरी करने के कारण स्वाति का जन्म एवं लालन-पालन भी वहीं हुआ है। दयाशंकर सिंह से उनकी पहली मुलाकात लखनऊ यूनिवर्सिटी में हुई।
दयाशंकर छात्र राजनीति में काफी सक्रिय थे। एवं उस वक़्त ABVP से जुड़े थे। धीरे-धीरे राजनीति से स्वाति भी जुड़ीं। राजनीति के दांव-पेंच सीखते-सीखते दोनों में प्यार हो गया, एवं फिर परिवार की सहमति से दोनों ने विवाह कर लिया। स्वाति सिंह ने इसके पश्चात लखनऊ विश्वविद्यालय में पीएचडी में दाखिला कराया, एवं यहां से साथ पढ़ाई करने लगे।
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