मीटर धीरे कराने वालों को तगड़े जुर्माना, उपभोक्ताओं के मीटर की होगी छानबीन।

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लखनऊ 14 दिसम्बर 2022: बिजली चोरी के विचार से इलेक्ट्रॉनिक एवं स्मार्ट मीटर में गड़बड़ी कराने वालों को अब यह काफी भारी पड़ने वाला है। पड़ताल में मीटर कम यूनिट (रीडिंग) बताते मिला तो काफी जुर्माना वसूला जायेगा। लेसा (लखनऊ इलेक्ट्रिक सप्लाई अथॉरिटी) ने सोमवार को एसटीएफ के बिजली मीटर को धीरे करने एवं मेमोरी बदलने वाले गैंग को पकड़ने के पश्चात अब उपभोक्ताओं के मीटर की छानबीन कराने का निर्णय लिया गया है।

लेसा सिस गोमती जोन के मुख्य अभियंता संजय जैन ने कहा कि ,मीटिंग में समस्त अधिशासी अभियंताओं को इसके निर्देश दिए गए। उपभोक्ताओं के मीटर की पड़ताल से पूर्व अधिशासी अभियंता को कार्यालय में बिलिंग की  जाँच करते हुए विधुत लोड एवं दर्ज हो चुकी यूनिट की समीक्षा करनी होगी। इसमें मीटर धीमा करने की शंका हुई तो जांच कराई जाएगी।

उधर, मीटर धीमा करने व मेमोरी बदलने पर रोकथाम हेतु निगम के निदेशक (वाणिज्य) योगेश कुमार ने मीटर का निर्माण करने वाली कंपनियों के विशेषज्ञों की मीटिंग बुलाई। इसमें मीटर को सुरक्षित करने के तरीके पूछे गये हैं। विशेषज्ञ दो दिन में जानकारी उपलब्ध कराएँगे। 

टेट्रा हाईफ्यूरान केमिकल से काटते थे मीटर की बाडी

गैंग मीटर की बाडी काटने हेतु विशेष प्रकार के रसायन टेट्रा हाईफ्यूरान का उपयोग करते थे। एसटीएफ की मौजूदगी में गैंग के सदस्यों ने लेसा अभियंताओं को जानकारी दी कि, सिरिंज से डाला जाने वाला यह केमिकल मीटर की बाडी को इस प्रकार काटता था जैसे कैंची से कागज कटता हो। बाडी कटने का कोई निशान नहीं पड़ने से मीटर में की गई गड़बड़ी सरलता से सामने नही आती थी।

07 दिन में मांगी जांच रिपोर्ट—

मध्यांचल विधुत वितरण निगम के एमडी भवानी सिंह खंगारौत  के अनुसार, लखनऊ निदेशक योगेश कुमार को छानबीन कराने के आदेश दिए गए हैं। पता लगाने को कहा गया है कि गैंग किस प्रकार मीटर धीमा करता था। निगम के किस अधिकारी, कर्मचारी के सहयोग से यह अवैध कार्य संचालित हो रहा था। इस पर रोकथाम के तरीकों  हेतु सात दिन में रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा गया है।

गैंग में शामिल बिजली कर्मियों पर हो कार्यवाही

राज्य  विधुत उपभोक्ता परिषद ने मीटर में गड़बड़ी करके बिजली कंपनियों को नुकसान पहुचाने वाले गैंग में शामिल बिजली कर्मियों पर कार्यवाही की मांग की है। किसी उपभोक्ता के संलिप्त होने पर उसके विरुद्ध भी कानूनी कार्यवाही की मांग की गई है। इस संबंध में उन्होंने सोमवार को पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष एम. देवराज व प्रबंध निदेशक पंकज कुमार से मुलाकात की।

परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया, कि प्रथम दृष्टया इसमें बिजली कंपनियों के अभियंताओं और कर्मियों का भी योगदान प्रकाश में आ रहा है। उन्होंने बताया कि एक ओर मीटर निर्माता कंपनियां दावा करती हैं कि उनके मीटर की एमआरआई उनके ही सॉफ्टवेयर से की जा सकती है ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है कि विभिन्न कंपनियों के मीटरों की चिप का एक दूसरे में आदान-प्रदान कैसे हो जाता है? उन्होंने मीटर निर्माता कंपनियों को इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति की रोकथाम हेतु निर्माण संबंधी कमियां ख़त्म कराने हेतु सख्त चेतावनी भी   देने को कहा है।