25 हजार कर्मचारियों ने वापस लिया ‘कार्य बहिष्कार’: तीन करोड़ ग्राहकों को मिलेगी राहत।

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लखनऊ 04 दिसम्बर 2022: ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के आश्वासन पर बिजली अभियंताओं ने कार्य बहिष्कार वापस ले लिया है। अभियंताओं  की  लगभग एक घंटे तक मंत्री से वार्ता हुई। इसके पश्चात सभी ने  मिलकर ये  निर्णय लिया।अवगत करा दें कि अपनी 15 मांगों को लेकर अभियंता चार दिन से कार्य बहिष्कार पर थे।

समिति के नेता शैलेंद्र दुबे ने कहा कि 15 दिन का वक़्त दिया गया है। इसके पश्चात भी परेशानियों का निस्तारण नहीं होता तो पुनः कार्य बहिष्कार किया जाएगा। अभी कार्य बहिष्कार खत्म कर दिया गया है।

यूपी में तीन करोड़ बिजली के ग्राहक हैं। 25 हजार से अधिक अभियंता और कर्मचारी इनको बिजली आपूर्ति करते हैं 29 नवंबर से समस्त कर्मचारी कार्य बहिष्कार पर थे। इस वजह से यूपी के विभिन्न जगहों में कहीं पर खराबी या बिजली से जुड़ी परेशानी होती थी तो अभियंता दुरुस्त नहीं करते थे। इस  कारण ग्राहकों को बहुत परेशानी हो रही थी। कई गांवों में अधिक वक़्त से अंधेरा पसरा था।

ग्रामीण इलाको में आई सबसे अधिक परेशानी –कार्य बहिष्कार के समय अधिकतर परेशानी ग्रामीण इलाकों में आई। जैसे श्रावस्ती, गाजीपुर, बलिया, मऊ, आजमगढ़, चंदौली में बिजली ख़राब हो गयी। बहिष्कार होने के कारण यहां बिजली नहीं आई। इन कारणों से  कहीं पर लोग रोड पर आ गये प्रदर्शन करने लगे। बलिया में वकील क्रोधित होकर रोड पर आ गए। यूपी में काफी विरोध होने पर ऊर्जा मंत्री लखनऊ में अभियंताओं से मिले । काफी समय तक वार्ता के पश्चात अंत में मान गए।

बिजली कर्मचारियों की मुख्या मांगें

  • 9 साल, कुल 14 साल एवं कुल 19 साल  की सेवा के पश्चात तीन प्रमोशन वेतनमान दिया जाए।
  • निर्धारित चयन प्रक्रिया के दौरान चेयरमैन, प्रबन्ध निदेशकों व निदेशकों के पदों पर चयन किया जाए
  • सभी बिजली कर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जाये
  • ट्रांसफार्मर वर्कशॉप के निजीकरण का आदेश निरस्त किया जाये
  • 765/400/220 केवी विधुत उपकेन्द्रों को आउटसोर्सिंग के द्वारा चलाने का फैसला निरस्त किया जाए
  • पारेषण में की जा रही निजीकरण  की कार्यवाही को समाप्त किया जाए
  • आगरा फ्रेंचाईजी व ग्रेटर नोएडा का निजीकरण निरस्त किया जाए
  • ऊर्जा कर्मियों की सुरक्षा के लिए पावर सेक्टर इम्प्लॉइज प्रोटेक्शन एक्ट शुरु किया जाए
  • तेलंगाना, पंजाब, दिल्ली व उड़ीसा सरकार की तरह ऊर्जा निगमों के सभी संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए
  • बिजली कर्मियों के कई सालों से रुके हुये बोनस का भुगतान किया जाए
  • भ्रष्टाचार एवं फालतू के खर्च की रोकथाम हेतु करीब  25 हजार करोड़ के मीटर खरीदने के आदेश निरस्त किए जाए व कर्मचारियों की वेतन की त्रुटियों में सुधार किया जाये।