50 वर्ष बाद 5 वर्ष की सजा: 50 वर्ष पश्चात आया निर्णय, दोषी को 5 वर्ष की सजा मिली।

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लखनऊ 24 दिसम्बर 2022: छात्र जीवन में हुए जानलेवा हमले के संबंध में याची जगदीश शरण त्रिपाठी का न्याय पाने का इंतजार 50 वर्ष पश्चात समाप्त हुआ।अपर सत्र न्यायाधीश सोमप्रभा मिश्रा ने लखनऊ कोर्ट में चल रहे बहुत पुराने आपराधिक केस में 74 साल के आरोपी नरेंद्र देव तिवारी को दोषी मानते हुए 5 वर्ष की जेल और पांच हजार रुपये के जुर्माने की सजा दी है।

सरकारी वकील नवीन त्रिपाठी ने जानकारी दी कि घटना की रिपोर्ट थाना हसनगंज में 21 अप्रैल 1972 को  विश्वविधालय के एमए प्रथम वर्ष के छात्र जगदीश शरण त्रिपाठी ने दर्ज कराई थी। याची ने कहा था कि, घटना के दिन लगभग 7:30 बजे शाम को वह हसनगंज चौराहे पर शर्मा होटल के  समक्ष खड़े होकर चाय पी रहे थे। जैसे ही बाहर आये उसी वक़्त विवाद के सम्बन्ध में हबीबुल्लाह छात्रावास में रहने वाले और एलएलबी प्रथम वर्ष के छात्र नरेंद्र तिवारी ने जरा सी बात पर उनके सीने पर चाकू मार दिया था।

जब वह बचकर निकले तो नरेंद्र के सहयोगी रघुवीर सिंह और हरीश शुक्ला ने उन्हें दौड़कर पकड़ लिया। इसके पश्चात नरेंद्र ने याची की पीठ पर चाकू से एक और हमला किया था। इसी वक़्त घटनास्थल पर पुलिस पहुँच गई, जिसने अभियुक्त नरेंद्र देव को चाकू सहित हिरासत में ले लिया था।

पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया था, जिस पर अदालत ने 25 सितंबर 1972 को संज्ञान लिया था। इस सम्बन्ध में पुलिस ने 18 गवाह बनाए थे, परन्तु अदालत के अनेकों बार बुलाने के पश्चात भी याची के अतिरिक्त कोई भी गवाह हाजिर नहीं हुआ।