31 वर्ष पश्चात 43 पुलिसकर्मियों हुई 7-7 वर्ष की सजा।

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लखनऊ 21 दिसम्बर 2022: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने साल 1991 में पीलीभीत में 10 सिखों को खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट का आतंकी कहकर कथित मुड़भेड़ में मार दिए जाने के प्रकरण में 43 पुलिसकर्मियों को गैर इरादतन हत्या का दोषी घोषित किया है। निचली अदालत ने इन पुलिसकर्मियों को 4 अप्रैल 2016 को हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। न्यायालय ने निचली अदालत के निर्णय को ख़ारिज करते हुए दोषी पुलिसकर्मियों को 7-7  वर्ष की सजा दी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की बेंच ने अभियुक्त पुलिसकर्मी देवेंद्र पांडे व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई के पश्चात सुनाया है। 179 पृष्ट के फैसले में यह आदेश अदालत  निकाला है और कहा कि इस प्रकरण में याचिका करने वालों और मरने वालों के मध्य कोई शत्रुता नहीं थी। याचिकाकर्ता सरकारी मुलाजिम थे और उनका विचार कानून व्यवस्था को बनाए रखना था जिसकी वजह से इनको उम्र कैद के बदले 7-7  वर्ष की सजा गैर इरादतन हत्या में  दी गयी है।

क्या है पूरा प्रकरण

पूरा मोहल्ला पीलीभीत जनपद का है जहां कुछ सिख तीर्थयात्री 12 जुलाई 1991 को पीलीभीत से एक बस से तीर्थ यात्रा के लिए जा रहे थे। इस बस में बच्चे एवं महिलाएं भी थी। इस बस को बदायूं जनपद के कछला मैं रोककर 11 लोगों को उतार लिया गया था जिसमें से 10 की पीलीभीत के न्यूरिया बिलसंडा और पूरनपुर थाना क्षेत्रों में क्रमशः धमेला कुआं, फगुनिया घाट व पट्टाभोजी क्षेत्रों में  मुड़भेड़ बता कर हत्या कर दी गई थी। आरोप है कि 11वें व्यक्ति सिंगापुर के निवासी तलविंदर सिंह का अब तक कुछ अता-पता पता नहीं चला है।

किन-किन व्यक्तियों हुई थी हत्या

पीलीभीत में किये गये जघन्य हत्याकांड में नरेंद्र सिंह, लखविंदर सिंह पंजाब के गुरदासपुर के  निवासी बलजीत सिंह,जसवंत सिंह, हरमिंदर सिंह उर्फ मिंटा, अजायब सिंह, सुरजन सिंह, रणधीर सिंह उर्फ धीरा बटाला पंजाब के  निवासी जसवंत सिंह उर्फ फौजी ,मुखविंदर सिंह और करतार सिंह  की हत्या कर दी गई थी।

कौन-कौन से पुलिसकर्मी दोषी

 दर्दनाक हत्याकांड में दोषी करार दिए गए पुलिसकर्मियों में नरेश चंद्र भारती ,वीरपाल सिंह, नत्थू सिंह, सुभाष चंद, कलेक्टर सिंह, कंवरपाल सिंह, श्याम बाबू, बनवारी लाल, दिनेश सिंह, सुनील कुमार दीक्षित, अरविंद सिंह, राम नगीना, विजय कुमार सिंह, उदय पाल सिंह ,मुन्ना खान,बृजेश सिंह ,गयाराम, रजिस्टर सिंह, हरपाल सिंह, रामचंद्र सिंह, गजेंद्र सिंह ,ज्ञानगिरी, लखन सिंह ,नाजिम खान, नारायणदास, कृष्ण वीर, करण सिंह,राकेश सिंह, नेमचंद ,शमशेर अहमद ,दुर्विजय सिंह पुत्र टोडी लाल और शैलेंद्र सिंह जो की अभी भी जेल में बंद हैं।

यह पुलिसकर्मी जेल से बाहर हैं 

इस हत्याकांड में दोषी 11 पुलिसकर्मी जेल से बाहर हैं जिसमें देवेंद्र पांडे,मोहम्मद अनीस, वीरेंद्र सिंह ,एमपी विमल, आर के राघव,सुरजीत सिंह, राशि हुसैन, सैयद अली रजा रिजवी, सतपाल सिंह ,हरपाल सिंह, और सुभाष चंद्र जमानत पर  हैं न्यायालय ने इनको भी गिरफ्तार करने का आदेश दिया है। याचिका के लंबित रहते तीन पुलिसकर्मियों की मृत्यु भी हो  गयी है।