लखनऊ 13 दिसम्बर 2022: फर्जी अभिलेखों के द्वारा एलडीए के करोड़ों के प्लाट बेचने के सम्बन्ध में रविवार रात्रि 2 और मुक़दमे दर्ज किए गए। इनमें 2 बाबू सहित 10 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इससे पूर्व प्रकरण में 4 केस दर्ज किए गए थे। अब तक दर्ज 6 केस में 28 पर जालसाजी का आरोप लगा है।
प्रभारी निरीक्षक दिनेश चंद्र मिश्रा के अनुसार, एलडीए के उप सचिव माधवेश कुमार ने तहरीर दी थी। आरोप लगाया कि प्राधिकरण के कनिष्ठ लिपिक आलोक नाथ के कर्मचारी कोड का उपयोग कर विकल्पखंड के प्लाट संख्या 2/387-ए को जाली फर्जी तरीके से बेचा गया। भिलावां निवासी रामकिशोर राजवंशी ने प्लाट के जाली अभिलेख बनाये थे।
आरोप है कि जालसाजी करके प्राधिकरण के कंप्यूटर रिकॉर्ड में अपना नाम भी दर्ज करा लिया। एवं प्लाट को 19 वर्ष पश्चात अंबेडकरनगर के अकबरपुर शास्त्रीनगर गदावां के रहने वाले आशीष चौरसिया को बेच दिया। उनका भी नाम रिकॉर्ड में दर्ज करा दिया। गवाही विवेकखंड के इंद्रजीत कुमार और बाराबंकी के छोटी छेदियां के रहने वाले शिवकुमार ने दी थी।
इसी तरह प्राधिकरण की योजना विराजखंड में प्लाट नंबर 2/81 को भी जाली तरीके से ख़रीदा-बेचा गया। इस प्लाट को 13 जून 2000 को त्रिवेणीनगर के आदर्शपुरम निवासी शिवानी रस्तोगी के नाम दर्ज कराया गया। 2020 में इस प्लाट को जाली तरीके से अभिलेख बनाकर सरायमाली खां निवासी वैष्णवी रस्तोगी को बेच दिया गया।
मामले में गवाही बरेली के फरीदपुर नगलाजसी निकसुआ के रहने वाले भानु प्रताप शर्मा और नेहरू एन्क्लेव विश्वासखंड के रहने वाले अभिनव सिंह की थी। जालसाजी हेतु कनिष्ठ लिपिक अजय प्रताप वर्मा के कर्मचारी कोड का उपयोग किया गया।
प्रभारी निरीक्षक के अनुसार, दोनों कनिष्ठ लिपिक, क्रेता-विक्रेता रामकिशोर राजवंशी, आशीष चौरसिया, शिवानी रस्तोगी, वैष्णवी रस्तोगी, गवाह भानुप्रताप शर्मा, अभिनव सिंह, इंद्रजीत कुमार व शिवकुमार पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। अब तक प्रकरण में दर्ज 6 केस में 28 लोगों पर फर्जीवाड़े का आरोप लगा है।