नौकरी के नाम पर करोड़ों की ठगी, सरगना समेत चार ग‍िरफ्तार

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सरकारी और निजी कंपनियों में नौकरी दिलाने की आड़ में जालसाजों ने 500 से अधिक बेरोजगारों से छह करोड़ की ठगी कर डाली। STF (स्पेशल टास्क फोर्स) ने गिरोह के सरगना समेत चार जालसाजों को गोमतीनगर के विभूतिखंड इलाके से गिरफ्तार कर लिया।

ठगी के लिए कम्पनियाँ बनाई:

जालसाजों ने ‘कृषि कुम्भ प्राइवेट लिमिटेड’ और ‘मदर हुड केयर कम्पनी’ एवं गैर सरकारी संगठन खोलकर विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के लिए विज्ञापन देते थे।आवेदन आने पर लोगों को फोन कर बुलाते थे। सरकारी नौकरी के नाम पर प्रति व्यक्ति चार से पांच लाख रुपये लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र देकर उन्हें ज्वाइन करने के लिए भेजते थे।

सरगना समेत चार आरोपी गिरफ्तार:

इस गिरोह का सरगना अरुण कुमार दुबे और उसके तीन साथी अनिरुद्ध पांडे, खालिद मुनव्वर बेग और अनुराग मिश्रा को बुधवार रात लखनऊ के विभूति खंड इलाके से गिरफ्तार किया गया। इस सिलसिले में लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में एक मुकदमा भी दर्ज है। पकड़े गए लोगों के कब्जे से बड़ी संख्या में हैंडबुक, स्टांप पेपर, लेटर हेड तथा अन्य सामान बरामद हुआ है।

सरगना बीटेक के बाद निजी कंपनी में करता था नौकरी:

STF एसएसपी हेमराज सिंह मीणा के मुताबिक सरगना अरुण दुबे ने वर्ष 2005 में गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक किया। बाद में उसने 2015 में रिलायंस, फिर टाटा व जीटीएल समेत कई कंपनियों में नौकरी की। वह मैनेजर के पद पर भी रहा। इस दौरान एक कंपनी से 10 लैपटॉप और बैटरी चोरी के आरोप में उस पर एफआईआर(FIR) दर्ज हुआ, वर्ष 2016 में अरुण जेल भी गया था।

वेबसाइट पर विज्ञापन और कराते थे बड़े-बड़े सेमिनार:

अपनी कंपनी के नाम से बनी वेबसाइट पर विभिन्न विभागों में नौकरी का विज्ञापन जारी करते थे। आवेदन आने पर युवाओं को फोन करके बुलाते थे। सरकारी विभाग की अच्छी नौकरी दिलाने का लालच देकर चार से पांच लाख रुपए ले लेते थे। बाद में  फर्जी अप्वॉइंटमेंट लेटर देकर उन्हें ज्वाइन करने के लिए भेजते थे जालसाज लोगों को विश्वास में लेने के लिए सेमिनार भी कराते थे। सेमिनार के दौरान लोग चकाचौंध देखकर इन पर विश्वास कर उनके चंगुल में फंस जाते थे।

अरुण कुमार दुबे ने कई खुलासे किये:

पूछताछ में अरुण कुमार दुबे ने बताया कि उसने अपनी कंपनी में नौकरी कर रहे कुछ लोगों को फर्जी चेक भी दिये, जब उन लोगों को धन नहीं मिला तो उन्होंने अलग-अलग थानों में उसके तथा गिरोह के अन्य सदस्यों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिए। उसके बाद उसके गिरोह के सदस्य देवेश मिश्रा और विनीत कुमार मिश्रा को पुलिस ने सचिवालय का फर्जी नियुक्ति पत्र देने के आरोप में अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद से ही वह और उसके गिरोह के बाकी सदस्य छिप कर रह रहे थे।