लखनऊ 25 नवम्बर 2022: मैं लखनऊ विश्वविद्यालय हूं…। वही लखनऊ विश्वविद्यालय जिसकी नींव एक मई 1864 में अंग्रेजी शासनकाल में कैनिंग कॉलेज के रूप में हुई और 25 नवंबर 1920 में मैंने विश्वविद्यालय का रूप ले लिया। नवाबों की नगरी में शिक्षा का प्रकाश चमकाने की सोंच लेकर शुरू हुई यात्रा आज धीरे-धीरे 102 वर्ष की हो गयी है।
मुझे इस बात का गर्व है कि आज लखनऊ विश्वविद्यालय और संबद्ध कॉलेजों को मिलाकर मेरे पास सवा लाख छात्र-छात्राएं हैं। अभी ये सिलसिला और भी आगे जायेगा। अभी बहुत सी नई उपलब्धियां जुड़ेंगी। लाखों छात्र जुड़ते रहेंगे। बीती पीढ़ियों को मुझ पर गर्व है तो आने वाली नई पीढ़ी का मैं हमेशा तन -मन से स्वागत करता रहूंगा। छात्रों के भविष्य को संवारने की मेरी कोशिश आगे भी निरंतर जारी रहेगी…। अपने जन्मदिन पर साहिर लुधियानवी की दो लाइने आपको सुपुर्द करता हूं…
रिश्तों का रूप बदलता है, बुनियादें खत्म नहीं होतीं।
वक्त का पहिया चलता है, मियादें खत्म नहीं होतीं।
आपकी जानकारी के लिये बतादूँ कि बदलते समय के साथ मैंने न जाने कितने उतार-चढ़ाव देखे। यहीं से अपने छात्रों को अफसर, वकील, जज, इंजीनियर, खिलाड़ी, वैज्ञानिक, शिक्षाविद् और राजनेता बनते देखा। हर क्षेत्र में मेरे छात्रों ने देश ही नहीं, बल्कि सारे संसार में मेरा नाम चमकाया। 1921 में मेरे जन्म की शुरुआत में मात्र दो कॉलेज आईटी गर्ल्स कॉलेज व केजीएमसी थे। यह सिलसिला बढ़ता गया और राजधानी में 175 से ज्यादा कॉलेजों के साथ पिछले साल चार जिलों सीतापुर, लखीमपुर खीरी, हरदोई व सीतापुर के भी कॉलेज मिल गए। इसके साथ ही संबद्ध कॉलेजों की संख्या आज 550 के लगभग पहुंच गई है। वहीं जल्द ही नैक में ए प्लस प्लस ग्रेडिंग के बाद अब मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकने के लिए प्रयास शुरू कर दिया है।