लोहिया संस्थान बनेगा ऑर्गन ट्रांसप्लांट का हब: एसजीपीजीआई और केजीएमयू की तरह लिवर प्रत्यारोपण की शीघ्र शुरुआत

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लखनऊ 20 दिसम्बर 2022: राजधानी लखनऊ के सबसे वीआईपी इलाके गोमतीनगर के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान यानी लोहिया संस्थान अब ऑर्गन ट्रांसप्लांट का हब बनने जा रहा है। यहां शीघ्र ही सेंटर फॉर ट्रांसप्लांट स्थापित करने की योजना है।

मुख्य बात ये है कि यहां बोन मैरो ट्रांसप्लांट से सम्बंधित समस्त कार्यवाही पूर्ण हो चुकी है। इससे पूर्व लोहिया संस्थान में किडनी ट्रांसप्लांट यानी गुर्दा प्रत्यारोपण पूर्व से हो रहा है। कुल मिलाकर एसजीपीजीआई और  केजीएमयू की तरह यहां भी ऑर्गन ट्रांसप्लांट की सुविधाएं उपलब्ध होने से मरीजों को काफी आराम मिलेगा 

नई सुविधा शुरू की जाएगी

गंभीर बीमारी को झेल रहे मरीजों का ट्रांसप्लांट होगा। वहीं जिन मरीजों को खून से सम्बंधित विशेष बीमारी होगी, उनका बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जायेगा। गुर्दा प्रत्यारोपण संस्थान में पूर्व से हो रहा है। इसमें भी नई सुविधा शुरू की जाएगी।

सेंटर फॉर ट्रांसप्लांट में 35 बेड होंगे

संस्थान में सेंटर फॉर ट्रांसप्लांट बनेगा। इसमें लगभग 35 बेड होंगे मतलब एक साथ 35 व्यक्तियों का ऑर्गन ट्रांसप्लांट हो सकेगा। सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक के छठे और सातवें मंजिल पर सेंटर बनाया जाएगा। इसकी डिजाइन को स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। इन दोनों मंजिलों पर संचालित पैथोलॉजी सहित दूसरे विभागों को एकेडमिक ब्लॉक में स्थानांतरित किया जाएगा।

सभी आयु के मरीजों का होगा लिवर ट्रांसप्लांट

संस्थान के अधिकारियों ने कहा कि, लिवर ट्रांसप्लांट की कार्यवाही का आखिरी दौर है। विशेष बात यह है कि इसमें बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिवर ट्रांसप्लांट किये जायेंगे। दिल्ली के संस्थान से मिलकर लिवर प्रत्यारोपण कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। लोहिया लिवर प्रत्यारोपण उपलब्ध कराने वाला लखनऊ का तीसरा सरकारी संस्थान  बन जाएगा। इससे पूर्व केजीएमयू और एसजीपीजीआई में लिवर प्रत्यारोपण हो रहे हैं।

बोनमैरो ट्रांसप्लांट होगा

रक्त कैंसर सहित दूसरी खून से जुडी बीमारी झेल रहे मरीजों का बोनमैरो प्रत्यारोपण भी हो सकेगा। ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडि विभाग से मिलकर बोनमैरो प्रत्यारोपण होगा। अभी एसजीपीजीआई और केजीएमयू में ही बोनमैरो प्रत्यारोपण  होता है।

गुर्दा प्रत्यारोपण को मिलेगी गति

गुर्दा प्रत्यारोपण की सुविधा को और विकसित किया जाएगा। अब तक संस्थान में लगभग 150 मरीजों के गुर्दा प्रत्यारोपण किये जा चुके हैं।  शीघ्र ही ब्लड ग्रुप मेल न खाने वाले गुर्दा रोगियों का प्रत्यारोपण होगा। इससे बेड की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी। गुर्दा प्रत्यारोपण यूनिट में संसाधन बढ़ाए जाएंगे।  जिससे मरीजों को गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए कम रुकना पड़े। अभी मरीजों को 4 से 5 हफ्ते तक रुकना पड़ रहा है।

अभी न्यूरो साइंस का बड़ा सेंटर

लोहिया संस्थान के प्रवक्ता डॉ. ए के जैन ने कहा कि संस्थान में  पूर्व से ही मरीजों को स्तरीय चिकित्सकीय सुविधाएं दी जा रही हैं। आने वाले वक़्त में इसमें बढ़ोतरी होगी। लोहिया संस्थान अभी न्यूरो साइंस का टॉप सेंटर  कहा जाता है। अब यहां लिवर और बोन मैरो ट्रांसप्लांट की भी  शीघ्र शुरुआत होगी। अलग से डेडिकेटेड सेंटर फॉर ट्रांसप्लांट स्थापित किया जा रहा हैं।