निकाय चुनाव : 2017 में कराये गये ओबीसी सर्वे को समझा जाए आधार, सरकार ने दिया जवाबी हलफनामा

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लखनऊ 20 दिसम्बर 2022: स्थानीय निकाय चुनाव के सम्बन्ध में प्रदेश सरकार ने बताया है कि, 2017 में कराये गए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वे को आरक्षण का आधार समझा जाए। उच्च न्यायालय में दाखिल अपीलों के वादिकारों को सोमवार को  दिए गए जवाबी हलफनामे में सरकार ने बताया है कि, इसी सर्वे को तीसरा परीक्षण समझा जाए।

शहरी विकास विभाग के सचिव रंजन कुमार ने हलफनामे में बताया है कि ,ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। निकाय चुनाव से सम्बंधित अपीलों पर उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में मंगलवार को सुनवाई होगी। समस्त वादी सरकार के जवाब पर प्रतिउत्तर दाखिल करेंगे। पिछली सुनवाई में उच्च न्यायालय  ने सरकार से पूछा था कि किन प्रावधानों के अंतर्गत निकायों में प्रशासकों की भर्ती की गई है। इस पर सरकार ने बताया है कि 5 दिसंबर, 2011 के उच्च न्यायालय के निर्णय के अंतर्गत इसका प्रावधान है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ  बेंच ने पूर्व में स्थानीय निकाय चुनाव की आखिरी अधिसूचना जारी करने पर 20 दिसंबर तक पाबंदी लगा दी थी । इसके अतिरिक्त ही राज्य सरकार को आदेश दिया था कि 20 दिसंबर तक बीते 5 दिसंबर को जारी अंतिम आरक्षण की अधिसूचना के अंतर्गत आदेश जारी न करे।  अदालत ने ओबीसी को उचित आरक्षण का फायदा दिए जाने व सीटों के रोटेशन के मामलों के सम्बन्ध में दाखिल जनहित अपीलों पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की बेंच ने यह आदेश रायबरेली के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडेय व अन्य की जनहित अपीलों पर दिया था।

अपील में ओबीसी आरक्षण व सीटों के रोटेशन का मामला उठाया

जनहित अपीलों में निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का उचित फायदा दिए जाने व सीटों के रोटेशन के  मामले उठाए गए हैं। अपीलार्थियों का कहना है कि ,सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अंतर्गत, जब तक राज्य सरकार तिहरे परीक्षण की कार्यवाही पूर्ण नहीं करती तब तक ओबीसी को  किसी प्रकार का आरक्षण नहीं दिया जा सकता। राज्य सरकार ने इस तरह का कोई परीक्षण नहीं किया। यह भी कहा गया कि यह कार्यवाही पूर्ण हुए बिना सरकार ने विगत 5 दिसंबर को आखिरी आरक्षण की अधिसूचना के अंतर्गत ड्राफ्ट आदेश जारी कर दिया। इससे यह  स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार ओबीसी को आरक्षण देने जा रही है।  इसके अतिरिक्त सीटों का रोटेशन भी नियमानुसार किए जाने की अपील की गई है।  वादी ने इन कमियों को खत्म  करने के पश्चात ही चुनाव की अधिसूचना जारी किए जाने का अनुरोध किया। उधर, सरकारी वकील ने यह बताते हुए अपील का विरोध किया था कि 5 दिसंबर की सरकार की अधिसूचना मात्र एक ड्राफ्ट आदेश है। जिस पर सरकार ने आपत्तियां मांगी हैं। इसलिए इससे  पीड़ित  वादी व अन्य लोग इस पर अपनी  दर्ज करा सकते हैं। इस प्रकार अभी यह अपील समय से पहले दायर की गई है।

 इस प्रकार होता है रैपिड सर्वे

रैपिड सर्वे में जिला प्रशासन की देखरेख में नगर निकायों द्वारा वार्ड वार ओबीसी वर्ग की गणना होती है। इसके   अनुसार ही ओबीसी की सीटों को लागु करते हुए इनके लिए आरक्षण का प्रस्ताव बनाकर शासन को प्रेषित किया जाता है।

 तीसरा परीक्षण

नगर निकाय चुनावों में ओबीसी का आरक्षण  लागु करने से पूर्व एक आयोग का गठन किया जाएगा, जो निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति की गणना करेगा। इसके पश्चात पिछड़ों हेतु सीटों के आरक्षण को प्रस्तावित करेगा। दूसरे चरण में स्थानीय निकायों द्वारा ओबीसी की संख्या का परीक्षण कराया जाएगा और तीसरे चरण में शासन के द्वारा सत्यापन कराया जाएगा।