लखनऊ 21 दिसम्बर 2022: स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण जारी किए जाने के सम्बन्ध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बंच ने इस केस की अगली सुनवाई बुधवार को निर्धारित की है। इसके अतिरिक्त चुनाव की अधिसूचना निकालने पर लगायी गयी पाबंदी भी बुधवार तक के लिए बढ़ा दी गयी है। राज्य सरकार की तरफ से उक्त के सम्बन्ध में जवाबी हलफनामा पेश किया गया। जिस पर वादियों के वकीलों ने प्रति उत्तर भी पेश कर दिए।
मंगलवार को इस सम्बन्ध में सुनवाई हुई जो बुधवार को भी होगी। राज्य सरकार के अनुसार, मांगे गए समस्त जवाब, प्रति शपथपत्र में उपलब्ध करा दिए गए हैं। जिस पर वादियों के वकीलों ने आपत्ति करते हुए सरकार से विस्तार से जवाब मांगे जाने की अपील की जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया। इधर, राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही ने इस केस की सुनवाई के पश्चात शीघ्र निस्तारण किए जाने हेतु अपील की। कोर्ट में केस की सुनवाई अंतिम दौर में है।
न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की बेंच ने यह आदेश रायबरेली के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडेय व अन्य की जनहित अपील पर दिया। राज्य सरकार ने कोर्ट में पेश किये गये अपने हलफनामे में बताया है कि, स्थानीय निकाय चुनाव के सम्बन्ध में 2017 में कराये गये अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वे को आरक्षण का आधार समझा जाए।
सरकार ने बताया है कि, इसी सर्वे को तीसरा परीक्षण समझा जाए। नगर विकास विभाग के सचिव रंजन कुमार ने हलफनामे में बताया है कि ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। पिछली सुनवाई में उच्च न्यायालय ने सरकार से पूछा था कि किन प्रावधानों के अनुसार निकायों में प्रशासकों की भर्ती हुई है? इस पर सरकार ने बताया है कि, 5 दिसंबर 2011 के उच्च न्यायालय के निर्णय के अंतर्गत इसका प्रावधान है।
अदालत ने पूर्व में स्थानीय निकाय चुनाव की आखिरी अधिसूचना निकालने पर 20 दिसंबर तक रोक लगा दी थी। एवं राज्य सरकार को आदेश दिया था कि 20 दिसंबर तक बीते 5 दिसंबर को निकाले गये आखिरी आरक्षण की अधिसूचना के अंतर्गत आदेश न निकालें। अदालत ने ओबीसी को उचित आरक्षण का फायदा उपलब्ध कराये जाने व सीटों के रोटेशन के मामले से सम्बंधित दाखिल जनहित अपीलों पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था।
अपीलों के हक में निर्णय तो अप्रैल-मई तक टलेगा चुनाव
निकाय चुनाव के सम्बन्ध में सरकार ने जवाब दाखिल कर दिया है। इस पर जिरह के पश्चात मंगलवार देर शाम तक निर्णय सुनाये जाने की संभावना है। कहा जा रहा है कि उच्च न्यायालय का निर्णय अपीलकर्ताओं के हित में हुआ तो ये चुनाव अप्रैल-मई 2023 तक टल सकते हैं। यह भी बताया जा रहा है कि यदि निर्णय सरकार के हित में हुआ तो अपीलकर्ता सुप्रीम कोर्ट में उसे चुनौती देंगे। अगर निर्णय सरकार के विरुद्ध हुआ तो वह भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल या आयोग का गठन कर चुनाव को 4 से 5 माह हेतु टाल सकती है।