लखनऊ 07 दिसम्बर 2022: यूपी में मोबाइल का सिम क्लोन कर डिजिटल लेन-देन पर साइबर ठग जालसाजी करने लगे हैं। यदि आप ने अपने मोबाइल नंबर को अधिक वक़्त से रिचार्ज नहीं कराया या मोबाइल के साथ सिम गायब होने के पश्चात उसको बंद नहीं कराया है एवं बैंक नंबर बैंक खाते या ई-वॉलेट से लिंक है, तो आप भी इन जालसाजों के ठगी के गिरफ्त में आ सकते हैं। आप को बता दें कि, किस प्रकार यह गैंग थोड़ी सी लापरवाही का लाभ लेकर आपके बैंक खाते को खाली कर सकता है…
साइबर जालसाज बैंक खाते से जुड़े नंबर का क्लोन करा रहे
लखनऊ की साइबर टीम ने विगत दिनों लखनऊ इंदिरानगर से अरबाज खान को हिरासत में लिया था। यह सीतापुर और लखीमपुर जनपद द्वारा जाली केवाईसी के जरिए बंद नंबरों के नए सिम निकलवाता था। जिनके नंबर ई-वायलेट से संलग्न होते थे। उनका सिम चालू करा लेते थे। उसके पश्चात उनके बैंक खातों से पैसा निकाल लेते हैं। मोबाइल नंबर होने से ओटीपी बिना किसी परेशानी के उपलब्ध हो जाता है और पीड़ित को बैंक के द्वारा भेजी गयीं सूचनाएं भी प्राप्त नहीं होतीं
कंपनी की योजना एवं लोगों की लापरवाही का लेते है लाभ
साइबर टीम के अनुसार, साइबर जालसाज बैंक खातों से संलग्न नंबर और बंद मोबाइल नंबरों को ऑनलाइन सरलता से कस्टमर केयर कर्मचारी बनकर प्राप्त करते है। उसके पश्चात उन नंबर पर डि-एक्टिव ई-वॉलेट को रिएक्टिव करते है। इसको कराने हेतु केवाईसी की आवश्यकता नहीं होती इसके पश्चात इसमें जमा धनराशि अपने खाते में स्थानांतरित कर देते हैं।
साइबर क्राइम थाने के प्रभारी निरीक्षक मो. मुस्लिम खां ने कहा कि सेल्युलर कंपनियां के सिम प्रयोग न करने की वजह से एक निर्धारित वक़्त के पश्चात कंपनी सिम बंद कर देती है। एवं अन्य व्यक्ति को जरुरत के अनुसार आवंटित कर देती हैं। इसके लिए नंबरों को ऑनलाइन अपलोड किया जाता है। यह गैंग ऐसे सिम को पुनः जारी कराकर जालसाजी प्रारंभ कर देते हैं। क्योंकि नंबर बंद होने के पश्चात अनेक लोगों को यह याद नही रहता कि उनका नंबर बैंक या ई-वॉलेट से जुड़ा है। इसके कारण गैंग के सदस्य बैंक खाते की सारी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। लोगों को पुराने नंबर पर समस्त सेवाएं बंद होने के कारण खाते से जुड़ी कोई सूचना नहीं मिल पाती है।
जालसाजी से बचना है तो बैंक खाते या किसी भी लेनदेन एप से जुड़े मोबाइल नंबर को वक़्त पर रिचार्ज कराते रहना चाहिए। बैंक खातों से लिंकअप मोबाइल नंबर एकाएक बंद हो जाए या कॉल आने और जाने की सुविधा न हो तो तुरंत संबंधित कंपनी से वार्ता करें। शक होने पर तुरंत नंबर ब्लाक कराकर बैंक खाते की जाँच करने के अलावा पुलिस को भी जानकारी दें।
साइबर अपराधी सिम स्वैपिंग से भी कर रहे खेल
डिजिटल आदान- प्रदान बढ़ने के कारण साइबर अपराधियों ने नया रास्ता अपनाया है। यह लोग सिम क्लोनिंग तकनीक के द्वारा किसी सिम कार्ड का डुप्लीकेट कार्ड बनाते हैं। जिसमें यह मोबाइल नंबर से एक दुसरे नए सिम का रजिस्ट्रेशन कर लेते हैं। जिससे कारण असली मोबाइल धारक का सिम कार्ड बंद हो जाता है और फोन से नेटवर्क चला जाता है। जिसके पश्चात उसके मोबाइल पर आने वाले ओटीपी को प्रयोग कर बैंक खाते खाली कर रहे हैं।
इनके साथ भी इसी प्रकार की जालसाजी हुई थी कि इनको पता तक नहीं लगी लगा
प्रकरण 01
कुछ इसी प्रकार लोगों ने मुख्य आरक्षी अजय प्रताप सिंह के साथ किया था। उसके भी मोबाइल का क्लोन बनाकर ई-वॉलेट से अनेक बार में 1.58 लाख रुपया निकाल लिया था। इसकी सूचना उन्हें तब हुई जब आवश्यकता पड़ने पर लेनदेन के वक़्त खाते में पर्याप्त धनराशि न होने का संदेश देखा।
प्रकरण -02
लखनऊ अलीगंज के चांद गार्डन के दिव्यांश सिंह के खाते से 3 जून को खाते से 16 लाख रुपए निकालने की सूचना प्राप्त हुई। उनके अनुसार, साइबर जालसाजों ने उनके पिता और भाई के बैंक खाते से पैसे निकाले। उनको इसकी जानकारी तक नहीं हुई। साइबर जालसाजों ने खाते से लिंक मोबाइल नंबर का क्लोन बना लिया और ओटीपी नंबर प्राप्त कर खाता खाली कर दिया। जानकारी प्राप्त करने पर जानकारी हुई कि जालसाजों ने ई-एफआईआर का प्रयोग करके उनके मोबाइल नंबर को बंद कराकर नया सिम प्राप्त किया था।
सिम क्लोनिंग के जरिए होने वाले साइबर जालसाजी से बचने के उपाय
- यदि आपको अपने मोबाइल बिल में अनजान कॉल डिटेल दिखे या लगातार नेटवर्क डिसकनेक्ट या क्रॉस कनेक्शन की परेशानी आ रही हो तो तुरंत सर्विस देने वाली कंपनी से बात करें।
- वहीं अगर आपको किसी टेलिकॉम कंपनी के नाम पर सिम कार्ड नंबर पूछे तो उसकी सूचना किसी को न दें।
- क्योंकि स्कैमर्स ज्यादातर 20 डिजिट वाले सिम कार्ड नंबर के बारे में पूछते हैं। फिर 1 नंबर प्रेस करने को कहते हैं। उसको कभी प्रेस न करें।
- साइबर जालसाज इसी कॉल को टेलीकॉम कंपनी के सर्वर से जोड़ करके स्वैपिंग प्रोसेस पूरा करते हैं।
- मोबाइल नंबर गायब या बंद होने पर उसको अपने समस्त बैंक अकाउंट एवं ई-वॉलेट से हटा दें।