लखनऊ 27 दिसम्बर 2022: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने यूपी के निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण से संबंधित निर्णय सुना दिया है। उच्च न्यायालय ने ओबीसी आरक्षण को निरस्त करते हुए अविलम्ब चुनाव कराने का आदेश दिया है।
अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि तीसरे परीक्षण के बिना ओबीसी को किसी प्रकार का आरक्षण न दिया जाए। इसलिए ओबीसी को आरक्षण दिए बिना स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएं। अदालत ने राज्य सरकार को तीसरा परीक्षण कराने हेतु आयोग गठित करने का आदेश दिया। अदालत ने चुनाव सम्बंधित सरकार द्वारा निकाले गये 5 दिसंबर के आखिरी ड्राफ्ट आदेश को भी ख़ारिज कर दिया। न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की बेंच ने मंगलवार को यह फैसला ओबीसी आरक्षण को चैलेंज करने वाली अपीलों पर सुनाया।
अदालत में सुनवाई जारी रहने की वजह से राज्य निर्वाचन आयोग को अधिसूचना जारी करने पर पाबंदी लगा दी गई थी। इस संबंध में वादी की तरफ से बताया गया था कि, निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का राजनीतिक आरक्षण है। इसका सामाजिक, आर्थिक अथवा शैक्षिक पिछड़ेपन से कोई सरोकार नहीं है। इसलिए ओबीसी आरक्षण निर्धारित किए जाने से पूर्व सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रदान की गई व्यवस्था के अंतर्गत डेडिकेटेड कमेटी द्वारा तीसरा परीक्षण कराना आवश्यक है।
जिस पर राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए अपने जवाबी हलफनामे में बताया था कि स्थानीय निकाय चुनाव के संबंध में 2017 में कराये गये अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वे को आरक्षण का आधार समझा जाये। सरकार ने बताया है कि, इसी सर्वे को तीसरा परीक्षण समझा जाए। सरकार ने यह भी बताया था कि, ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। सुनवाई में उच्च न्यायालय ने सरकार से पूछा था कि किन प्रावधानों के अंतर्गत निकायों में प्रशासकों की भर्ती हुई है? जिस पर सरकार ने बताया कि, 5 दिसंबर 2011 के उच्च न्यायालय के निर्णय के अंतर्गत इसका प्रावधान है।