मदरसों में हाईटेक शिक्षा पर विचार-विमर्श:अरबी-फारसी, उर्दू के अतिरिक्त साइंस, कंप्यूटर और अंग्रेजी की शिक्षा पर वार्ता

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लखनऊ 03 दिसम्बर 2022: उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड में हाईटेक शिक्षा को लेकर विचार-विमर्श प्रारम्भ हो गया है। मदरसा बोर्ड के चेयरमैन के नेतृत्व में लखनऊ में एक मीटिंग हुई। इस मीटिंग में मुख्य रूप से अरबी, फारसी, उर्दू के अतिरिक्त और क्या-क्या विषय मदरसों में पढ़ाए जाएं, इसको लेकर सुझाव मांगे गए। मदरसा बोर्ड 2016 के नियमों में  परिवर्तन करने को लेकर यह मीटिंग बुलाई गई थी।

विगत दिनों यूपी सरकार ने प्रदेश भर में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जाँच करायी। जाँच में लगभग 8491 मदरसे गैर मान्यता मिले, जिनकी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।

इन 6 बिंदुओं को जोड़ने और संशोधन के बारे में वार्ता  हुई 

  • शिक्षक और कर्मचारियों के परस्पर ट्रांसफर की सुविधा, परन्तु साथ में प्रबंधक या प्रबंध समिति, प्रधानाचार्य के सगे संबंधियों पर रोक रहे।
  • फौकानिया और आलिया में वैकल्पिक अध्यापकों की नियुक्ति की जाएगी।
  • शैक्षणिक योग्यता बीएड के साथ एमएससी, गणित/बायलॉजी, इंटर तक उर्दू आवश्यक होगा।
  • अनुकंपा केअनुसार मृतक आश्रित के पद पर नियुक्ति के लिए परिवेक्षण काल की शर्त को समाप्त करना।
  • बीएड के समकक्ष प्रशिक्षण कोर्स की सुविधा देना।
  • शिक्षकों और कर्मचारियों के अवकाश के संबंध में स्पष्ट निर्देश।

उचित शिक्षा प्रणाली के लिए होगा परिवर्तन

यूपी मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचार हैं कि मुसलमान के बच्चों के एक हाथ में कुरान और दूसरे में लैपटॉप हो। इसके अन्तर्गत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद निरंतर मदरसों के बच्चों को दीनी तालीम के अतिरिक्त दुनियावी तालीम को विस्तृतकर रहा है। इसी के कारण मदरसा विनियमावली 2016 में परिवर्तन की आवश्यकता है। दिसंबर माह में ही 2 बैठकें और होंगी। इसके बाद विनियमावली 2016 के परिवर्तन को लेकर आखिरी प्रस्ताव पास होगा और उसको शासन को भेजा जाएगा।

जाँच काम पूरा, शासन के निर्णय का इंतजार

मदरसा जाँच का कार्य पूर्ण  गया। जाँचपूर्ण होने के पश्चात आगे सरकार क्या निर्णय लेगी? इस सवाल पर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि सभी जिलों से मदरसों की जाँच रिपोर्ट शासन को प्राप्त हो गई है। अब जल्द ही शासन के अधिकारियों के साथ बैठक कर इसकी विस्तृत समीक्षा की जाएगी। इसमें यह भी देखा जाएगा कि इन मदरसों में तय मानकों पर कार्य हो रहा है या नहीं।

वहीं, मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डा. इफ्तिखार अहमद जावेद ने बताया कि दीनी तालीम के साथ दुनियावी तालीम देना अति आवश्यक है। मदरसे कमजोर घरों के बच्चों को शिक्षित करने का कार्य कर रहे हैं। मदरसा बोर्ड किसी भी मदरसे को अवैध और गलत बिल्कुल नहीं मान रहा है।

डा. इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि बोर्ड ने विगत सात वर्षों में किसी भी मदरसे को मान्यता नहीं दी। जाँच के पश्चात इन्हें भी मान्यता के लिए प्रेरित किया जाएगा। यह जाँच असली नकली की नहीं वरन शिक्षा और शिक्षा के केंद्र की उनकी संख्या, उनकी व्यवस्था आदि की उचित जानकारी प्राप्त करना है।