अप्रैल-मई तक जा सकता है यूपी निकाय चुनाव, आयोग गठन कर आरक्षण निर्धारित करने में लगेगा समय।

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लखनऊ 28 दिसम्बर 2022:  उच्च न्यायालय के निर्णय के पश्चात सरकार की ओर से पिछड़ी जाति का आरक्षण निर्धारित करने के पश्चात ही निकाय चुनाव कराने के फैसले से स्पष्ट हो गया है कि इसमें समय लगेगा। सरकार को आयोग का गठन करना होगा और आयोग की  देखरेख में ही अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का निर्धारण करने की कार्यवाही करनी होगी।। इधर, फरवरी में सरकार ग्लोबल इंवेस्टर समिट का आयोजन करा रही है। फरवरी-मार्च में यूपी सहित कई बोर्डों की परीक्षाएं भी होनी हैं। इसलिए कहा जा रहा है कि, सरकार हेतु अप्रैल या मई से पूर्व चुनाव कराना असम्भव सा लग रहा है।

वास्तव में  2017 में नगर निकाय चुनाव हेतु 27 अक्तूबर को अधिसूचना निकाली गई थी और तीन भागों में कराये गये चुनाव की मतगणना 1 दिसंबर को संपन्न हुई। इसलिए इस साल भी वक़्त पर चुनाव कराने हेतु सरकार को अक्तूबर में ही अधिसूचना निकालनी थी, परन्तु नगर विकास विभाग की लापरवाही से चुनाव की कार्यवाही में विलम्ब हुआ। वार्डों और सीटों का आरक्षण दिसंबर में हुआ। 5 दिसंबर को मेयर और अध्यक्ष की सीटों का प्रस्तावित आरक्षण निकाला गया। नगर विकास विभाग का ये विचार था कि 14 या 15 दिसंबर तक वह चुनाव आयोग को अधिसूचना उपलब्ध करा देगा, परन्तु प्रकरण उच्च न्यायालय में उलझ गया।

नगर विकास विभाग ने सर्वोच्च न्यायालय के साल 2010 में सुनाये उस निर्णय का भी विचार नही किया, जिसमें  साफ कहा गया था कि ,चुनाव प्रक्रिया प्रारंभ करने से पूर्व आयोग बनाकर अन्य पिछड़ा वर्ग हेतु वार्डों एवं सीटों का आरक्षण निर्धारित किया जाए। विभाग ने केवल नए नगर निकायों में रैपिड सर्वे कराते हुए पिछड़ों की गणना   कराई और आरक्षण निर्धारित कर दिया। पुराने निकायों में रैपिड सर्वे ही नहीं कराया।

रैपिड सर्वे से लेकर आरक्षण की अधिसूचना निकलने के संबंध में अनेक स्थानों पर लापरवाही बरती गयी। जानकारी के अनुसार, प्रत्येक निकाय चुनाव में स्थानीय निकाय का विशेष महत्व होता, परन्तु इस बार रैपिड सर्वे से लेकर आरक्षण अधिसूचना निकालने तक की कार्यवाही से निदेशालय से दुरी बनाये रखी गयी, जो कि एक बड़ी  लापरवाही है। इस कार्य में तजुर्बेकारों की जगह नए अधिकारियों को नियुक्त किया गया।

जानकारों के अनुसार, उच्च न्यायालय के निर्णय मिली हार से सरकार क्रोधित है। इसका परिणाम संबंधित  अफसरों को भुगतना पड़ सकता है। लापरवाही हेतु शीघ्र ही अफसरों की लापरवाही सुनिश्चित की जाएगी। कार्यवाही से संबंधित अफसरों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।इसलिए इसकी जानकारी मिलते ही खुद को सुरक्षित करने हेतु उच्च वर्ग पर अपनी सफाई देनी प्रारंभ हो गयी  है।