लखनऊ 31 दिसम्बर 2022: छत्रपति शाहूजी महाराज विवि, कानपुर के कुलपति प्रो. विनय पाठक पर रंगदारी, सुविधा शुल्क और अवैध वसूली से संबंधित जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति की गई है। प्रदेश सरकार ने इस संबंध में केंद्र सरकार को पत्र भेजा है। प्रो. पाठक एवं उनके निकटवर्ती एक्सएलआईसीटी कंपनी के एमडी अजय मिश्रा के विरुद्ध इंदिरानगर थाने में 29 अक्तूबर को मुकदमा दर्ज किया गया था। इसकी छानबीन एसटीएफ कर रही है,और अब तक अजय मिश्रा सहित 3 को हिरासत में लिया जा चुका है।
डॉ. भीमराव अंबेडकर विवि, आगरा में परीक्षा कराने वाली कंपनी डिजीटेक्स टेक्नालॉजिज इंडिया प्रा. लि.के एमडी डेविड मारियो डेनिस ने अजय मिश्रा के द्वारा प्रो. पाठक पर सुविधा शुल्क लेने सहित कई आरोप लगाए हैं। मुकदमा दर्ज होते ही एसटीएफ ने अजय मिश्रा को हिरासत में ले लिया। इसके पश्चात अजमेर के व्यापारी अजय जैन और सीतापुर के रहने वाले संतोष को पकड़ा गया। तीनों पर प्रो. पाठक के अवैध संपत्ति को वैध करने का आरोप लगाया गया है।
अनेक बार सुविधा शुल्क लेने का आरोप
डेविड का आरोप है कि, वर्ष 2019-20 और 2020-21 में यूपीएलसी के द्वारा उसकी कंपनी ने आगरा यूनिवर्सिटी की प्री व पोस्ट परीक्षा संचालित करायी। इसके बिल का पेमेंट लंबित चल रहा था। प्रो. पाठक कानपुर विवि के कुलपति हैं। उन्होंने पेमेंट हेतु डेविड को कानपुर स्थित आवास पर बुलाया और इसके बदले में सुविधा शुल्क की मांग की। फिर अजय मिश्र के द्वारा 3 बार में 1 करोड़ 41 लाख रूपये सुविधा शुल्क के रूप में लिए गये। इसके पश्चातर डेविड से आगरा विवि में परीक्षा संचालन का कार्य देने हेतु 10 लाख रुपये की डिमांड की गई। यह बताने पर की वहां तो अब दुसरे कुलपति हैं। इस पर प्रो. पाठक की तरफ से बताया गया कि ,अब कार्य नहीं दिया जा पायेगा ।एवं वहां का कार्य यूपी डेस्को के द्वारा अजय मिश्र की कंपनी को दे दिया गया।
अनेक बार नोटिस देने के पश्चात भी नहीं हुए उपस्थित
एसटीएफ जाँच हेतु प्रो विनय को अनेक बार नोटिस दे चुकी है, परन्तु वह उपस्थित नही हुए। इस पर जांच एजेंसी अदालत में प्रार्थना पत्र देकर गैर जमानती वारंट निकलवाने का प्रयास करने लगी। इस दौरान सरकार ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति कर दी है।