लखनऊ 06 फरवरी 2023: शनिवार रात में राजभवन की ओर से निकले गये आदेश में डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविधालय [AKTU] के कुलपति प्रोफेसर पीके मिश्रा को अनियमितता के आरोप में उनके पद से हटा दिया गया। लखनऊ विश्वविधालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय को AKTU के कार्यभार सँभालने की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है। तथा जांच के मद्देनजर कुलपति पीके मिश्रा को डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय से संबद्द भी कर दिया गया है।
अनियमितता की शिकायतों पर हुई कार्यवाही
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने विगत सोमवार को कड़ी कार्यवाही करते हुए AKTU में हुई अनियमितता की शिकायतों पर जाँच के आदेश जारी किये थे। इस संबंध में कुलसचिव व कुलपति को पत्र भेज कर जाँच में मदद करने हेतु कहा था, एवं इस प्रकरण में निष्पक्ष जाँच करके रिपोर्ट देने हेतु उच्च न्यायालय के सेवानिर्वित्त न्यायाधीश एसएन अग्निहोत्री को भी कहा गया था।
पूर्व कुलपति एवं वर्तमान कुलपति के बीच रहा मतभेद
AKTU के पूर्व कुलपति व वर्तमान कुलपति प्रो.पीके मिश्रा के बीच मतभेद पूर्व कुलपति प्रो.विनय पाठक के विरुद्ध अनियमितता के आरोप लगने के पश्चात से ही दिखायी दे रहे थे। इसी वक़्त परीक्षा कार्य बाधित होने के कारण AKTU के परीक्षा नियंत्रक एवं पूर्व कुलपति के सहयोगी रहे प्रो. अनुराग त्रिपाठी को प्रो.पीके मिश्रा ने हटा दिया था।
पद से हटाए जाने के पश्चात AKTU के परीक्षा नियंत्रक प्रो.अनुराग त्रिपाठी ने कुलपति के विरुद्ध राजभवन में शिकायत की थी। जिसके पश्चात इस संबंध में राजभवन ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा जाँच बैठायी थी। इसी समय प्रो.विनय पाठक के सहयोगी IET के डायरेक्टर प्रो.विनीत कंसल को भी कुलपति ने पद से हटा दिया था।
कुलपति प्रो. पीके मिश्रा के अनुसार, राजभवन ने मुझे शकुंतला मिश्रा विश्वविधालय से संबद्द कर लखनऊ विश्वविधालय के कुलपति को कार्यभार की जिम्मेदारी सौपी है। परीक्षा विभाग में पूर्व में जो कंपनी कार्य कर रही थी। उसके विरुद्ध STF की जांच प्रारंभ होने के पश्चात विश्वविधालय के परीक्षा संबंधित समस्त कार्य रुक गये थे।
इस कारण विश्वविधालय के परिणाम जारी कराने एवं नई कंपनी के चयन होने तक 3 माह हेतु एक कंपनी का चयन कर परीक्षा परिणाम तैयार करवा कर जारी किया गया था। कुलपति ने बताया कि, इस समस्त कार्यवाही की शिकायत पूर्व परीक्षा नियंत्रक अनुराग त्रिपाठी ने की थी। जिसके पश्चात पूर्व में एक जांच कमेटी बनायी गयी थी।
एकपक्षीय कार्यवाही पर अचरज
वर्तमान कुलपति के विरुद्ध शिकायत होने पर कार्यवाही किया जाना अचरज भरा है। क्योकि इस पूरे प्रकरण में जो मुख्य आरोपी है उस पर आंखें बंद हैं। अनियमितताओं के संबंध में पूर्व कुलपति के विरुद्ध केस दर्ज होने व समस्त प्रकरण सीबीआई को सौपें जाने के पश्चात भी कार्यवाही ना किये जाने से निरंतर प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं।
ये भी पढ़े
प्रो.विनय के विरुद्ध जाँच कमेटी गठित, उच्च न्यायालय के सेवानिर्वित्त न्यायाधीश के नेतृत्व में कमिटी करेगी जाँच
वीजा अप्लीकेशन सेंटर का शुभारंभ, अब नहीं लगाने पड़ेंगे दिल्ली के चक्कर