Lucknow Samachar 26 फरवरी 2023: दूरसंचार कंपनियों एवं केबल आपरेटरों को उत्तर प्रदेश के बिजली खम्भों का प्रयोग करने पर तय फीस देनी होगी। यह कानून जारी करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य है।
राज्य सरकार को अधिसूचना जारी करने के लिए विद्युत नियामक आयोग ने नवंबर-2022 में जारी नियमावली को भेजा था। इस संबंध में दूरसंचार नेटवर्क सुविधा नियमावली-2022 लागू कर अधिसूचना जारी कर दी गई है।
फीस के रूप में प्राप्त होने वाली राशि का 70% भाग उपभोक्ताओं की बिजली दरों एवं 30% बिजली कंपनियों को दिया जाएगा। कोई भी निजी या सरकारी दूरसंचार कंपनी, ब्रॉडबैंड, केबल ऑपरेटर या अन्य कोई भी अपना सिस्टम अथवा तार एवं केबल का प्रयोग अब टावरों एवं बिजली खंभों पर नहीं करेगा।
इसका उपयोग करने के लिए पूर्व स्वीकृति प्राप्त करनी पड़ेगी, एवं तय फीस देनी पड़ेगी। इसके लागू होने के पश्चात अब बिजली कंपनियां फीस वसूलने से सम्बंधित कार्यवाही प्रारंभ कर सकेंगी।
स्मार्ट मीटर लगाकर बिजली बिल की वसूली
दूरसंचार कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया से खंभों को दिया जाएगा। यदि 5-जी नेटवर्क में दूरसंचार कंपनियों को कहीं भी बिजली की जरुरत होगी, तो उस पर स्मार्ट मीटर लगाकर बिजली बिल की वसूली भी की जाएगी। स्मार्ट मीटर सहित सभी खर्चों का वहन दूरसंचार कंपनियों को करना होगा।
प्रदेश की बिजली कंपनियों को इससे प्राप्त होने वाली आय का ऑडिट कराना होगा। इसे आयोग के समक्ष पेश किया जायेगा इस नियमावली में किसी भी तरह के संशोधन का अधिकार केवल विद्युत नियामक आयोग को होगा।
किसी भी दूरसंचार कंपनी को बिजली कंपनियों की आवश्यक सेवा की गुणवत्ता के साथ कोई भी खिलवाड़ की इजाजत नहीं होगी। दूरसंचार कंपनियों को टावर या उपकरण के लिए खंभों के इंसुलेटर से सुरक्षा मानक को बनाए रखना होगा। सुरक्षा मानक को देखते हुए नई व्यवस्था से 33 केवी लाइन टावर को बाहर रखा गया है। इसका कोई व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जा सकेगा
1 करोड़ खंभे हैं उत्तर प्रदेश में
नए कानून को लागू कराने के लिए आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह का राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आभार जताया है। उन्होंने बताया कि, उत्तर प्रदेश में लगभग 1 करोड़ खम्भें हैं। इससे प्राप्त होने वाला राजस्व नान टैरिफ आय में शामिल किया जायेगा। इससे प्रत्येक वर्ष लगभग 500 करोड़ तक की नॉन टैरिफ आय प्राप्त होगी।
कम से कम 3 साल में एक बार किराया शुल्क में बिजली कंपनियों को संशोधन करना होगा। किसी एक टेलीकॉम कंपनी का वर्चस्व न हो इसलिए नए कानून में यह भी व्यवस्था की गई है कि, किसी भी विशेष दूरसंचार कंपनी को वितरण कंपनियां अपने खंभों का 50% से अधिक काम न दे पायें।
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