सरकारी चिकित्सा संस्थानों में गुर्दा ट्रांसप्लांट हेतु मिल रही 1 से डेढ़ साल बाद की तारीख, 350 मरीज वेटिंग लिस्ट में

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Lucknow Samachar 1 मार्च 2023: सरकारी चिकित्सा संस्थानों में मरीजों को सर्जरी की जगह तारीख दी जा रही है। यहाँ सबसे अधिक गुर्दा ट्रांसप्लांट हेतु इंतजार है। मरीजों को गुर्दा ट्रांसप्लांट हेतु 1 से डेढ़ वर्ष बाद की तारीख मिल रही हैं। लगभग 350 मरीज गुर्दा प्रत्यारोपण के इंतजार में हैं। इस स्थिति में गुर्दा मरीजों की जान खतरे में हैं। यहाँ मरीजों को आराम की जगह दर्द दिया जा रहा है।

कुल 900 से ज्यादा मरीजों की जान सर्जरी के वेटिंग लिस्ट में लटकी है। जनरल सर्जरी,दिल, कैंसर, पीडियाट्रिक सर्जरी,  में 500 से अधिक मरीज सर्जरी के वेटिंग लिस्ट में हैं।

 80 से 90% मरीजों के पास हैं डोनर

गुर्दाट्रांसप्लांट लोहिया संस्थान केजीएमयू एवं पीजीआई में हो रहा है। सबसे अधिक गुर्दा ट्रांसप्लांट पीजीआई में हो रहे थे हफ्ते में 3 गुर्दा ट्रांसप्लांट हो रहे थे। पर, यूरोलॉजी विभाग के एक चिकित्सक के जाने से कार्यक्रम को झटका लगा है। 

वर्तमान समय में 2 ट्रांसप्लांट ही हो पा रहे हैं। विशेष बात है कि, 80 से 90% मरीजों के पास डोनर भी हैं। इसके पश्चात ट्रांसप्लांट में विलम्ब हो रहा है। लगभग 350 मरीज गुर्दा ट्रांसप्लांट के इंतजार में हैं। लोहिया संस्थान में डेढ़ से 2 महीने की वेटिंग चल रही है। प्रत्येक महीने 3 से 4 ट्रांसप्लांट हो पा रहे हैं।

यही स्थिति सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग की है। कैंसर मरीजों को 15 से 20 दिन बाद की तारीख दी जा रही है। लगभग 30 से 40 मरीज सर्जरी हेतु चक्कर लगा रहे हैं।

केजीएमयू एवं लोहिया संस्थानों में सबसे अधिक ब्रेन ट्यूमर, स्पाइन, गर्दन  सहित अन्य बीमारी से पीड़ित मरीज सम्मिलित हैं। केजीएमयू एवं लोहिया न्यूरो सर्जरी विभाग में 350 से अधिक मरीज ऑपरेशन की राह में हैं। लोहिया में न्यूरो के मरीजों को जून की तारीख दी जा रही है।

प्रत्येक हफ्ते 25 से ज्यादा मरीजों की सर्जरी की जा रही है। लगभग 150 से ज्यादा मरीज सर्जरी के इंतजार में हैं। केजीएमयू में प्रतिदिन 15 से 20 मरीज की सर्जरी हो रही है। इसके पश्चात भी 4 से 5 महीने का इंतजार करना पड़ रहा है। यहां भी 200 से ज्यादा मरीज सर्जरी के इंतजार में हैं।

बच्चों की जिन्दगी लटकी सर्जरी के इंतजार में

केजीएमयू एवं लोहिया संस्थान में पीडियाट्रिक सर्जरी की सुविधा है। करीब 120 से ज्यादा बच्चों की जिन्दगी सर्जरी के इंतजार में लटकी है। यहां सर्जरी हेतु बच्चों को मई की तारीख दी जा रही हैं। वैसे बच्चों की सर्जरी इमरजेंसी में भी हो रही है। फिशर,पाइल्स सहित अन्य बीमारी के 100 से अधिक मरीज की वेटिंग चल रही है। 3 से 4 महीने पश्चात मरीजों की सर्जरी हो पा रही है। हॉर्निया, पथरी आंतों से संबंधित बीमारी से पीड़ितों की सर्जरी का नम्बर 1 से डेढ़ सप्ताह पश्चात आ रहा है।

 संसाधनों का अभाव

चिकित्सकों के अनुसार, मरीज तो आ रहे हैं, परन्तु संसाधनों का अभाव मरीजों के उपचार में रूकावट पैदा कर रहा है ।  असाध्य, आयुष्मान सहित अन्य योजनाओं के कारण मरीज के उपचार की मंजिल आसान हुई है।

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