एलडीए एवं आवास विकास की संपत्तियों की कीमतें होंगी कम, शासन बना रहा इन्हें काम दाम में बेचने की योजना।

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लखनऊ 07 फरवरी 2023: एलडीए एवं आवास विकास की लगभग 10 से 30 वर्ष पुरानी हो चुकी संपत्तियों के कोई खरीददार न मिल पाने के कारण शासन अब इनकी कीमतों को कम करके इन्हें बेचने की योजना बना रहा है।

विकास प्राधिकरणों एवं आवास विकास परिषद् ने हजारों फ़्लैट,दुकानें व मकान बनाये हैं, जिनमे से अनेक संपत्तियां क्रीम लोकेशन पर हैं। परन्तु जिनकी कीमतें बाजार दर से अधिक होने के साथ ही बिल्डरों के द्वारा बेचीं जा रही संपत्तियों के मूल्यों से भी अधिक है। इस वजह से लोग इन्हें न खरीदकर प्राइवेट बिल्डर से फ्लैट व मकान खरीद रहे हैं।

शासन बना रहा इन संपत्तियों को बेचने की योजना

शासन ने इस प्रकरण पर संज्ञान लेते हुए इन संपत्तियों की कीमतों को कम करते हुए इन्हें बेचने की योजना बनायीं है। लखनऊ में ही एलडीए एवं विकास परिषद् की लगभग 3 हजार एवं समस्त प्रदेश में प्राधिकरणों के 29003 खाली फ़्लैट व संपत्तियां पड़ी हैं ।

जो लगभग 10 से 30 वर्ष पुरानी हो चुकी हैं। जिन्हें बेचने के लिए पहले भी आवास विकास एवं प्राधिकरण ने कीमतें कम की थीं, आवास विकास ने 20% तक कीमतें कम की थीं। परन्तु प्राइवेट बिल्डरों से आवास विकास के फ्लैटों की कीमतें अधिक होने के कारण यह बिक नही पा रहे हैं।

 इन संपत्तियों में काफी धनराशि फँसी होने के कारण प्राधिकरण नई आवासीय योजनाओं हेतु बजट नहीं उपलब्ध करा पा रहा है। आवास बंधु के निदेशक रवि जैन ने, प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण के निर्देश पर, इस संबंध में 23 जनवरी को प्रयागराज एवं मुरादाबाद प्राधिकरण को छोड़ कर अन्य समस्त आवास विकास एवं प्राधिकरणों को पत्र भेज कर उनकी न बिकने वाली संपत्तियों के संबंध में जानकारी मांगी है। 

तुलनात्मक रिपोर्ट की मांग

शासन ने प्राधिकरणों से उनकी न बिक रही संपत्तियों को बेचने हेतु नीति तैयार करने के लिए बिल्डरों की तरफ से उसकी योजनाओं के निकट विकसित की गयी जमीन, मकान व टाउनशिप के मूल्यों की तुलनात्मक रिपोर्ट की मांग करते हुए प्राइवेट  बिल्डर वहां किस मूल्य पर फ़्लैट व मकान बेंच रहे हैं। इसके संबंध में जानकारी मांगी है

अलोकप्रिय श्रेंणी की संपत्तियों का विवरण तैयार

शासन ने मीटिंग में न बिकने वाली संपत्तियों को अलोकप्रिय घोषित करने पर अपनी सहमती व्यक्त करते हुए अभिकरणों को निर्देशित किया है कि, वह 15 दिनों के भीतर अलोकप्रिय श्रेणी में आने वाली संपत्तियों की सूची बनाकर शासन को अविलम्ब उपलब्ध कराये।

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