लखनऊ 06 फरवरी 2023: सेना में भर्ती करवाने का भरोसा देकर ठगी करने वाला गैंग शातिर योजना के द्वारा ठगी को अंजाम देता था। आरोपी सेवानिर्वित्त सिपाही अमित कुमार सिंह लेफ्टिनेंट कर्नल की पोशाक पहनता था। सिपाही रामबरन मेजर की पोशाक पहनकर साक्षात्कार में बैठता था।
शुभम पटेल कमांडो की पोशाक पहनकर लोगों से मिलता था। सबसे पहले जो अभ्यर्थी लाया जाता था उसकी शुभम से भेंट करवाते थे। शुभम उसके बारे में सूचना एकत्र कर उसके अभिलेख लेता था। समस्त डील वही करता था।
इसकेपश्चात अन्य आरोपियों की भेंट करवाता था। आरोपी सेना के अफसर बनकर साक्षात्कार पैनल में बैठते थे। साक्षात्कार के पश्चात एक मेरिट सूची निकाली जाती थी। समस्त अभिलेखों पर सेना का लोगो इत्यादि रहता था। इसलिए पीड़ित सरलता से भरोसा कर लेते थे।
लखनऊ में खरीदा फ़्लैट, अनेक अन्य संपत्तियां बनायीं
एसटीएफ के अनुसार, आरोपियों से जाँच में मालूम हुआ कि, शुभम पटेल इसका मास्टर माइंड है। अवैध कमाई से ही उसने लखनऊ में फ्लैट खरीदा है एवं अनेक अन्य संपत्तियां भी बनाईं हैं। समस्त आरोपियों ने अपने अनेक जाली पहचान पत्र बना रखे थे। वह एसएससी की जीडी कांस्टेबल व रेलवे की भर्तियों में नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगारों से काफी ठगी कर चुका है।
व्हाट्सएप ग्रुप के द्वारा एक-दुसरे से थे जुड़े
समस्त आरोपी व्हाट्सएप के द्वारा एक दुसरे से जुड़े थे। लेन-देन कैश करते थे। एसटीएफ ने उनके ठगी सम्बन्धी चैट बरामद करते हुए उसको विवेचना में सबूत के रूप में सम्मिलित किया है ।
आरोपियों से बरामद वस्तुएं
85 अभ्यर्थियों की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के शैक्षणिक प्रमाण पत्र, 36 अभ्यर्थियों के निवास प्रमाण पत्र, 20 अभ्यर्थियों का नर्सिंग असिस्टेंट प्रश्न पत्र, 34 जीडी प्रश्न पत्र, 24 उत्तर पुस्तिका, 16 एएमसी फार्म, 37 आधार कार्ड, ले. कर्नल की वर्दी व बैच, भारतीय सेना के जाली स्टाम्प, 5 फर्जी मेडिकल परीक्षा के प्रवेश पत्र, एक कैंटीन कार्ड, दो एटीएम, छह मोबाइल व दो गाड़ियां,4 अभ्यर्थियों के एनसीसी सर्टिफिकेट, 41 जाति प्रमाण पत्र, 6 भारतीय सेना के डिपेंडेंट कार्ड, दो पैन कार्ड, एक फर्जी सचिवालय का कार्ड, एक भारतीय सेना का आईडी कार्ड, 6 लीव सर्टिफिकेट आरोपियों के पास से बरामद हुई हैं।
दिलीप,शुभम एवं रामबरन बनाते थे जाली अभिलेख
इस गैंग से संबंधित, आरोपी दिनेश का फिरोजाबाद का रहने वाला मामा दिलीप यादव अभी फरार है। दिलीप, शुभम व रामबरन जाली अभिलेख बनाते थे। दिनेश के अनुसार, शुभम एवं रामबरन से उसको दिलीप ने ही मिलवाया था।
गैंग में किसी रामप्रकाश का नाम भी प्रकाश में आया है। दिनेश को अभ्यर्थी लाने का काम मिला था, जिसके लिए उसको 20 हजार रुपये प्रति अभ्यर्थी मिलता था।
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