लखनऊ 17 जनवरी 2023: लखनऊ,उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने एक जनहित अपील पर सुनवाई करते हुए, 2 वकीलों को कोर्ट कमिश्नर बनाया है एवं उन्हें इस आरोप की छानबीन करने का निर्देश दिया है कि क्या जॉपलिंग रोड स्थित सिटी मांटेसरी स्कूल में टिन की चादर के नीचे बच्चों की कक्षाएं संचालित की जा रहीं हैं या स्कूल परिसर में टिन की चादर लगाकर केवल निर्माण वस्तुएं रखी जा रही हैं। प्रकरण की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति आलोक माथुर की बेंच ने गोमती रिवर बैंक रेजीडेंट्स की तरफ से दायर जनहित अपील पर पारित किया है।
अपील शहर के अलग-अलग स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा के संबंध में दायर की गई है। अपील पर सुनवाई के वक़्त न्यायालय के पहले के आदेश के अनुपालन में जिलाधिकारी, लखनऊ की निरीक्षण रिपोर्ट उपलब्ध करायी गई, जिसमें 9 स्कूलों के खिलाफ टिप्पणी करते हुए बताया गया है कि,ये स्कूल मानकों एवं दिशा- निर्देशों के अनुसार संचालित नही किये जा रहे हैं।
अपील का सीएमएस एवं राज्य सरकार के वकीलों द्वारा विरोध किया गया। जबकि न्यायालय ने आपत्तियों पर असहमति व्यक्त की। न्यायालय ने इस बात पर भी हैरानी व्यक्त की कि, उसके पूर्व के आदेश के पश्चात सीएमएस को अग्निशमन एवं पीडब्ल्यूडी तथा एलडीए से एनओसी जारी कर दी गयी, हालाँकि राज्य सरकार के वकील इस बात का कोई उत्तर नहीं दे पाये कि क्या उक्त स्कूल हेतु किसी बिल्डिंग योजना की संस्तुति प्राप्त हुई है। न्यायालय ने टिप्पणी भी की कि, ऐसा प्रतीत होता है कि, इन्हीं कारणों से वर्तमान अपील को प्रारंभिक चरण में ही समाप्त किए जाने की कोशिश की गयी।
अपील के साथ संलग्न फोटोग्राफस को देखते हुए न्यायालय ने बताया कि,स्कूल में साढ़े तीन-चार सौ बच्चे पढ़ते हैं जिसके संबंध में वादी के अनुसार वहां टिन की चादर में कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। जबकि सीएमएस के अनुसार,वहां हो रहे बिल्डिंग कॉन्सट्रक्शन की निर्माण सामग्रियां रखने हेतु टिन की चादर का प्रयोग किया जाता है। न्यायालय ने बताया कि,अच्छा होगा कि लोकल कमिशनर्स की तैनाती करके स्टेटस रिपोर्ट मंगवायी जाये।
ये भी पढ़े
⇒ लखनऊ विश्वविधालय 194 केंद्रों पर संचालित करेगा ग्रेजुएट की सेमेस्टर परीक्षाएं।
⇒ भाषा विश्वविधालय में 3 वर्ष पश्चात पीएचडी में होंगे दाखिले, पार्ट टाइम पीएचडी भी प्रारंभ।