लखनऊ 20 फरवरी 2023: महिलाओं, वृद्धों व नाबालिगों को थाने में बुलाकर पूछताछ की प्रवृत्ति एवं बेवजह गिरफ्तार करने पर शासन ने नाराजगी व्यक्त की है। डीजीपी डीएस चौहान ने अपने अधीनस्थों को निर्देश दिए हैं कि, जब तक किसी प्रकरण में पुख्ता सबूत न हों, शक के आधार पर गिरफ्तारी न की जाए।
इनके अनुसार, नाबालिगों, महिलाओं, 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों एवं शारीरिक या मानसिक रूप से निशक्त व्यक्ति को उसके निवास स्थान के अतिरिक्त अन्य स्थान पर पूछताछ हेतु नहीं बुलाया जाएगा। यदि उसे पुलिस थाने के स्थान पर किसी अन्य जगह पर बुलाया जाता है, तो वहां एक स्वतंत्र गवाह मौजूद होना चाहिए।
यदि किसी वजह से वह निर्धारित तिथि पर हाजिर नहीं होता है, तो उसे जांच अफसर अधिकतम 4 दिन का अतिरिक्त वक़्त दे सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति को धारा 41 के अंतर्गत नोटिस देकर बुलाया जाता है, तो जांच अफसर के समक्ष हाजिर होने पर वह पावती हेतु आग्रह कर सकता है।
जांच में यदि कोई संज्ञेय अपराध दिखायी नहीं देता है, तो ऐसे व्यक्ति से मजिस्ट्रेट के न्यायालय पेश होने की अपेक्षा नहीं की जाएगी। डीजीपी ने इन निर्देशों का पालन नहीं करने पर कड़ी कार्यवाही की चेतावनी दी है।
वास्तव में, सर्वोच्च न्यायालय ने 7 वर्ष से कम सजा वाले प्रकरण में होने वाली गिरफ्तारी, पूछताछ के नोटिस इत्यादि के सम्बन्ध में समस्त राज्यों की पुलिस को निर्देश जारी करने एवं इसका आवश्यक रूप से पालन कराने के आदेश दिए हैं।
पूछताछ उसी जगह जहां रहती हैं महिलाएं
वृद्धों, बच्चों एवं दिव्यांगों से पूछताछ उसके परिवार के सदस्यों, संरक्षकों अथवा किशोर कल्याण अफसरों की मौजूदगी में ही की जाये महिलाओं से पूछताछ उसी जगह करनी होगी, जहां महिलाएं रहती हैं। पूछताछ के लिए थाने पर नहीं बुलाया जाएगा। इस समय परिवार वालों एवं महिला पुलिस की मौजूदगी आवश्यक होगी।
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